कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में मिर्जापुर का जवान शहीद, एक हफ्ते में पूर्वांचल के दूसरे जवान की शहादत
गाजीपुर न्यूज़ टीम, मिर्जापुर. कश्मीर के बारामूला में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में सोमवार को मिर्जापुर के जवान रवि सिंह शहीद हो गए। जिगना के गांव गौरा के रहने वाले रवि के घर शहादत की खबर मिलते ही लोगों की भीड़ जुट गई। पूर्वांचल में एक हफ्ते में दूसरा जवान कश्मीर में शहीद हुआ है। इससे पहले बुधवार को पुलवामा में जौनपुर के जिलाजीत यादव शहीद हो गए थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवान के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। डीएम सुशील कुमार पटेल के अनुसार बुधवार को सेना के विमान से जवान का शव बनारस के लालबहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पर लाया जाएगा। इसके बाद गांव आएगा। गंगा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।
जिगना के गौरा गांव निवासी किसान संजय सिंह के तीन बच्चों में रवि इकलौते बेटे थे। इसके अलावा दो बेटियां हैं। बड़ी रेनू की शादी हो चुकी है। जबकि छोटी कीर्ति की शादी की बात चल रही थी। रवि ने केवल 18 साल की उम्र में 2013 में मध्य प्रदेश के जबलपुर में ग्रेनेडियर रेजीमेंट में भर्ती हो गए थे।फिलहाल 29 आरआर- 13 ग्रेनेडियर रेजीमेंट पटन श्रीनगर में ड्यूटी थी। रवि की दो वर्ष पहले प्रयागराज के कोरांव निवासिनी प्रियंका के साथ शादी हुई थी। अभी दोनों को कोई संतान नहीं थी।
आपरेशन पर जाने से पहले परिजनों से हुई थी बात
रवि सिंह ने सोमवार को डेढ़ बजे पहले अपनी पत्नी फिर मां और पिता से वीडियोकाल पर बात की थी। पिता ने बताया कि बेटा शीघ्र ही घर आने की बात कह रहा था। अचानक उसने कहा पापा आतंकवादियों से मुठभेड़ हो गई है। अब मै आपरेशन में जा रहा हूं। उधर से काल कट गई। करीब ढाई बजे दिन में श्रीनगर में ही सेना में तैनात एक रिश्तेदार ने पड़ोसी को फोन पर शहीद होने की खबर दी। इसके बाद मनहूस सूचना घर पहुंची तो कोहराम मच गया।
सिंगरौली में हुई थी प्रारंभिक शिक्षा
रवि सिंह की प्रारंभिक शिक्षा सिंगरौली में हुई थी। यहां उनके बड़े पिता एक फैक्टरी में कार्यरत थे। कुछ दिनों बाद रवि सिंह गांव लौट आया और मौनी स्वामी इंटर कालेज श्रीनिवास धाम से हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा पास की। छानबे ब्लाक के गौरा गांव के नवयुवकों में सेना व पैरा मिलिट्री फोर्स में भर्ती होने का एक जज्बा और जुनून है। तभी तो वर्तमान में पांच दर्जन युवक सेना व फोर्स में भर्ती होकर देश सेवा में जुटे हुए हैं।
शहीद रवि सिंह के चाचा बृजेश सिंह आईटीबीपी में जवान हैं। वे चीन की सीमा से सटे लेह - लद्दाख में देश की सरहद पर निगहबानी कर रहे हैं। जबकि इसी परिवार के आदर्श सिंह एक माह की छुट्टी पर घर आएं हैं। वे 23 आरआर- 15 राजपूत बटालियन के सैनिक हैं। पटन श्रीनगर के पास ही नचलान में तैनात हैं। मुट्ठियां भींचते हुए उन्होंने बताया कि आतंकियों का सफाया होने तक चैन से नहीं बैठेंगे। शहीद के पिता को मलाल इस बात की है कि काश उनका एक और बेटा होता तो आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए उसे भी फौज मे भेज देते। रवि सिंह के दादा रणजीत ने कहा कि इस उम्र में पोते का शव देखने की हिम्मत नहीं है।
परिवार की भी माली हालत ठीक नहीं
शहीद रवि सिंह के परिजनों की मालीहालत ठीक नहीं है। पिता संजय सिंह अपने हिस्से की जमीन में खेती-बाड़ी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। सेना में भर्ती होने के बाद बेटा माता- पिता का सहारा बन गया था। शहीद के पिता के हिस्से में बमुश्किल छह-सात बीघा जमीन है। वह भी अभी संजय सिंह के पिता के नाम है। संजय सिंह का छोटा भाई जय प्रकाश मुंबई में प्राइवेट जाब करता है।