लाकडाउन की कमाई को वर्दीधारियों ने अनलाक में गंवाई, भोजन-पानी की जगह बरसा रहे डंडे
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सैद्धांतिक रूप से तो पुलिस को देखकर लोगों में सुरक्षा की भावना का बोध होना चाहिए, लेकिन इसके उलट आम लोगों को पुलिस के सामने पडऩे से ही डर लगता है। मन में सवाल उठता है कि क्या पता पुलिसवाला कब बीच सड़क पर गरिया दे या दो-चार लप्पड़ धर दे। भले दोषी न हों लेकिन भरे बाजार इज्जत तो उतर ही जाएगी। वो इज्जत व आत्मसम्मान, जिसे इंसान सारी जिंदगी संभाल-संभाल के रखता है, लेकिन एक असंवेदनशील पुलिसवाला उसे दो सेकेंड में मटियामेट कर देता है। लाकडाउन के बाद लागू हुए अनलाक में सिर्फ बाजार ही नहीं, बल्कि पुलिस के हाथ भी खुल गए हैं। लाकडाउन में लोगों को भोजन का पैकेट व पानी के बोतल बांटने वाले हाथ अब ला-एंड-आर्डर के नाम पर डंडे बरसा रहे हैं।
कोरोना महामारी के दौरान लगे संपूर्ण लाकडाउन में पुलिस ने कई ऐसे बेहतरीन कार्य किए जिससे लोगों के मन में खाकी के प्रति सम्मान बढ़ा। चारों तरफ जय-जय होने लगी उनकी। लोग बतियाते सुने गए कि... वाह, कितनी हमदर्द है पुलिस। लगता है अब अपना व्यवहार बदलने लगी है। काश, पुलिस का व्यवहार ऐसा ही सदा रहता। लाकडाउन काल में टीवी चैनलों के स्क्रीन, अखबारों के पन्ने व सोशल मीडिया के पेज पुलिस के गुणगान से अटे पड़े रहते थे। लेकिन जैसे ही लाकडाउन खत्म हुआ, आम लोग फिर से अपनी पुरानी दिनचर्या में ढलने लगे, तो पुलिस भी अपनी पुरानी कार्यशैली में लौट आयी।
इधर पिछले डेढ़ महीने में जिले की पुलिस ने अपनी कार्यशैली से लोगों के मन में फिर से वही पुराना डर व असुरक्षा की भावना भर दिया है। चाहे वो नूरपुर के फौजी परिवार को बेरहमी से पीटना हो या दिलदानगर में फल व्यापारी की हड्डी चूर-चूर करने की घटना हो। दुल्लहपुर में बेटे के सामने मां को गाली देना और फिर दोनों को पीट कर सरेआम उनकी इज्जत उतारना हो या बिरनो थाने से भाजपा नेताओं को धकिया कर बाहर भगा देने का मामला हो। इन सभी घटनाओं ने आम जनता में खाकी के प्रति फिर से अविश्वास पैदा किया है। इन डेढ़ महीनों में पुलिस कोई बड़ी उल्लेखनीय कार्रवाई तो नहीं कर सकी है लेकिन आम लोगों को पीट-पीटकर अपनी किरकिरी जरुर कराई है।
केस : 1
नगसर थानाक्षेत्र के नूरपुर गांव निवासी फौजी अजय पांडेय व उनके परिजनों को पिछले 27-28 जुलाई को पुलिस ने थाने में जमकर पीटा। उनके शरीर पर पड़ी लाठियां पुलिस बर्बरता की कहानी बयां कर रही थीं। पुलिस का आरोप था कि एक बदमाश को पकडऩे गई पुलिस पर अजय पांडेय व अन्य ने हमला कर उसे जबरदस्ती छुड़ा लिया। पुलिस के साथ मारपीट भी की। मामले ने जब तूल पकड़ लिया तो थाना प्रभारी समेत छह पुलिसर्किमयों को निलंबित कर दिया गया। मामले की जांच चल रही है।
केस : 2
दिलदारनगर थानाक्षेत्र स्थानीय गांव में 29 अगस्त की रात पुलिस ने छापेमारी करने के दौरान फल व्यवसायी सलीम कुरैशी के हाथ-पैर टूट गए। परिजनों का आरोप था कि पुलिस ने पीट-पीटकर सलीम के हाथ-पैर तोड़ डाले और घायलवस्था में ही छोड़ चलते बने। पुलिस का कहना था कि गोकशी की सूचना पर वह सलीम के घर पहुंचे थे, सलीम पुलिस से भागते समय गिरकर घायल हो गया। बहरहाल इस मामले में भी संबंधित पुलिसर्किमयों को लाइनहाजिर कर दिया गया है। जांच जारी है।
केस : 3
दुल्लहपुर थानाक्षेत्र के बिथरियां गांव में दो पक्षों में हुई मारपीट में ङ्क्षचता गिरी का पैर फैक्चर हो गया। इसकी सूचना देने थाने पहुंचे उनके भतीजे राहुल गिरी को उल्टे हवालात में डाल दिया गया। आरोप है कि फिर घर पहुंची पुलिस राहुल की मां संगीता को भद्दी-भद्दी गालियां देने लगी। मां की बेइज्जती देख छोटे पुत्र रोहित से नहीं रहा गया और वह पुलिस से भिड़ गया। फिर क्या था, पुलिस मां-बेटे को थाने उठा ले आयी और यहां रोहित को जमकर कूटा। तीनों मां-बेटे का चालान भी कर दिया।