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सीट से कांग्रेस की मुट्ठी खाली पर जुटाया जूझने का दम, 2 सीटों पर दूसरे नंबर पर

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. खाए न खाए, फैलाने के लिए तो कांग्रेस के हाथ आगे बढ़ ही गए। जीत की ऊंची आसंदी पर फिर जा बैठी भाजपा को तो फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन उपचुनाव के नतीजे विपक्षी खेमे में और घमासान की घंटी बजा रहे हैं। तीन दशक से बेदम पड़ी कांग्रेस भले ही जीत का खाता नहीं खोल सकी, लेकिन दो सीटों पर उपविजेता के पायदान सहित तीन सीटों पर सपा से आगे निकल जाना ही उसे जूझने का दम दे गया। हालांकि, परिणाम की तस्वीर से चिपका महज 7.5 फीसद वोट का आंकड़ा रणनीतिकारों के लिए 'आईना' भी है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव की सात में से छह सीटों पर कांग्रेस मैदान में थी, क्योंकि टूंडला में प्रत्याशी का पर्चा खारिज हो गया था। मौखिक दावे कुछ भी रहे हों, लेकिन कांग्रेस की नजर घाटमपुर और बांगरमऊ सीट पर ही थी। पार्टी आश्वस्त थी कि यह दो सीटें उसके खाते में जाएंगी। इस दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा सरकार पर खूब हमलावर रहीं। इस सबके बावजूद कांग्रेस मतदाताओं का दिल नहीं जीत सकी।


बांगरमऊ और घाटमपुर में दूसरे स्थान पर रही। बुलंदशहर में चौथे स्थान पर संतोष इसलिए है, क्योंकि वहां सपा-रालोद गठबंधन पांचवें पर रहा है। सीटों के लिहाज से तो यह प्रियंका की साख और रणनीति को एक झटका है, लेकिन कांग्रेस तो अपनी वह मुट्ठी देख रही है, जो तीन दशक से खाली ही है। यहां जो हासिल हुआ है, उसी को बोनस माना जा रहा है।


कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का कहना है कि हम हार स्वीकार करते हैं, लेकिन मुख्य विपक्षी दल कही जाने वाली सपा से हम तीन सीटों पर ज्यादा वोट पा गए। सीधा संदेश है कि कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी बनने की ओर बढ़ रही है। प्रियंका इफेक्ट नजर आ रहा है।

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