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मुख्तार अंसारी का 'काला साम्राज्य' मटियामेट! अब माफिया और गुर्गों से ही होगी ये वसूली

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. इस साल अगस्त में सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा था- माफिया मुख्तार अंसारी के काले साम्राज्य के अंत का समय आ गया है। इस ट्वीट को तीन महीने बीत चुके हैं। अब तक अंसारी गैंग की अरबों की अवैध संपत्ति जमींदोज की जा चुकी है। गिरोह से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की संख्या सैकड़ों में पहुंच गई है। सूबे की सरकार ने बाहुबली मुख्तार अंसारी और उससे जुड़े लोगों पर शिकंजा कसते हुए अवैध इमारतें ढहा दीं। अब इस कार्रवाई के दौरान आए खर्च को माफिया और उसके गुर्गों से ही वसूलने की तैयारी है।

गाजीपुर और आसपास के जिलों में मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों की इमारतों को मानकों की अनदेखी किए जाने के आरोप में ध्वस्त किया गया है। गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी गणेश दत्त मिश्र के 6 मंजिला भवन को गिराया गया। इससे पहले अंसारी बंधुओं के मालिकाना हक वाले गजल होटल के अवैध निर्मित हिस्से का ध्वस्तीकरण किया जा चुका है। एनजीटी के नियमों की अनदेखी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनवाने वाले आजम कादरी के अस्पताल को भी गिराया गिराया गया था।


सरकारी नियम के अनुसार भवनों के मालिकों से ध्वस्तीकरण के खर्च को वसूला जाना है। जिलाधिकारी की अगुवाई वाले बोर्ड के निर्देश के बाद आजम कादरी के अस्पताल को जमींदोज करने की प्रक्रिया के दौरान ही कादरी परिवार हाईकोर्ट की शरण में चला गया। यहां से उन्हें फौरी राहत मिल गई। इस सूरत मे उनके अस्पताल का कुछ हिस्सा ध्वस्तीकरण से बच गया। वहीं गजल होटल में हाईकोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का निर्णय सुनाया है। मुख्तार अंसारी के करीबी गणेश दत्त मिश्र के श्रीराम कॉलोनी के 6 मंजिला भवन को पूरी तरीके से जमींदोज कर दिया गया है।


ध्वस्तीकरण पर आए खर्च की वसूली की 'मास्टर प्लान'

इन तीनों मामलों में ध्वस्तीकरण के खर्च को लेकर मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक ध्वस्तीकरण का काम पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता, तब तक आउटसोर्सिंग के जरिए करवाए गए ध्वस्तीकरण का बिल सरकारी एजेंसियों की मदद से संबंधित मालिकों को वसूली के लिए नहीं भेजा जा सकता। एक बार जब ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पूरी तरह समाप्त हो जाए उसके बाद संबंधित मालिकों को खर्च से संबंधित बिल भुगतान के लिए भेजा जाएगा।


अभी कादरी के अस्पताल में बचे हुए हिस्से को तोड़ने के संबंध में कोर्ट में दाखिल रिट पर फैसले का प्रशासन इंतजार कर रहा है। संबंधित मालिकों की तरफ से भुगतान नहीं करने की सूरत में तहसील से उनके खिलाफ आरसी जारी करने का प्रावधान भी है। ऐसे में देखें तो सरकार की नई नीति के अनुसार भू-माफियाओं पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ तो उन्हें अपनी प्रॉपर्टी से हाथ धोना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ अपनी ही प्रॉपर्टी तोड़े जाने का खर्च भी वहन करना पड़ेगा।

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