Today Breaking News

गाजीपुर में बढ़ रही काले मृग और चीतल की संख्या, उछल कूद देखने को उमड़ती है भीड़

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. काले मृग (एंटीलोप) और चीतल (स्पाटेड डियर) को कर्मनाशा का तटवर्ती माहौल खूब रास आ रहा है। सुरक्षा व भोजन-पानी की प्रचुरता की वजह से इनकी वंशबेल तेजी से बढ़ती जा रही है। हालांकि यहां वन्य जीव संरक्षण के लिए कोई प्रभावशाली योजना लागू नहीं है। पर्यटन के अवसर बढ़ाने के लिए इनके संरक्षण की जरूरत है। तटवर्ती इलाके में इनकी उछल कूद देखने के लिए खासी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। मादा काला मृग व चीतल गर्भधारण के बाद साढ़े पांच माह में बच्चों को जन्म देती हैं। यही कारण है कि इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है।

कई एकड़ में फैला हुआ कर्मनाशा का तटवर्ती इलाका हमेशा हरी घासों से भरा रहता है। जिसे खाकर हिरण अपनी क्षुधा शांत करते हैं। हिरणों की बढ़ती संख्या देखकर कई बार शिकारियों ने इन्हें अपना शिकार बनाना चाहा, लेकिन आसपास के ग्रामीणों की सजगता से वह सफल नहीं हो पाए। हिरणों का झुंड इलाके में जब कुलांचे भरता है, तो इन्हें देखने वाले लोगों का मन प्रसन्न हो जाता है। कर्मनाशा के तट पर जमीन का रकबा बहुत बड़ा है, अगर सरकारी स्तर पर विकास के लिए थोड़ा ही प्रयास किया जाए, तो यह स्थान पर्यटन स्थल बन सकता है।

शेड्यूल-1 श्रेणी के हैं जानवर

काला मृग व चीतल केंद्र सरकार के वन्यजीव अधिनियम 1971 के अंतर्गत शेड्यूल-1 श्रेणी के वन्यजीव हैं। ये खुले मैदानों में रहते हैं जिसके कारण इनका शिकार हो जाता है। सर्वाधिक चीते ही इनका शिकार करते हैं, इसलिए केंद्र सरकार ने इन्हें संरक्षित करने के लिए शेड्यूल-1 श्रेणी में रखा है। कर्मनाशा के तटवर्ती इलाकों में काले मृग व चीतल की संख्या बढ़ोतरी सुखद है.

कर्मनाशा के तटवर्ती इलाकों में काले मृग व चीतल की संख्या बढ़ोतरी सुखद है। इसका प्रमुख कारण है, इन्हें पर्याप्त भोजन-पानी मिलना। सामाजिक वानिकी में हिरणों के संरक्षण का कोई प्राविधान नहीं है।- मकसूद हुसैन, वन रेंजर जमानियां।

'