कोयले की कमी से उत्तर प्रदेश में बढ़ा बिजली संकट, ग्रामीण और तहसील क्षेत्रों में जमकर अघोषित कटौती
गाजीपुर न्यूज़ टीम, सोनभद्र. देश भर में छाए कोयला संकट का सीधा असर उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति पर पड़ा है। उत्तर प्रदेश में बिजली उत्पादन में कमी के साथ केंद्रीय पूल से मिलने वाली बिजली के कोटे में आई भारी कमी के कारण उत्तर प्रदेश में पीक आवर के दौरान बिजली संकट की स्थिति पैदा हो जा रही है।
बिजली की मांग में कमी के बावजूद मंगलवार रात प्रदेश में 1770 मेगावाट की आपात कटौती की गई। कई जिलों में ग्रामीण और तहसील क्षेत्रों में जमकर अघोषित कटौती की गई। ऐसा तब हुआ है जब बिजली की मांग पीक आवर के दौरान 19000 मेगावाट के करीब थी। कोयले की कमी के कारण देश भर में बिजली उत्पादन में हुई कमी से लगातार विद्युत संकट बढ़ते जा रहा है।
बुधवार सुबह कोयले की कमी के कारण ऊंचाहार की 500 मेगावाट की इकाई को बंद करना पड़ गया। जिसके कारण विद्युत संकट में और इजाफा हो गया है। कोयला संकट के कारण अब तक प्रदेश की सात इकाइयों को बंद कराया जा चुका है। इन इकाइयों के बंद होने से 2275 मेगावाट उत्पादन कम हुआ है।
उत्तर प्रदेश स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर के आकड़ों के अनुसार कोयला संकट के कारण ललितपुर की 660 मेगावाट, रोजा की 300 मेगावाट, हरदुआगंज की 250 मेगावाट और 105 मेगावाट, पारीछा की 210 मेगावाट और 250 मेगावाट की इकाइयां बंद हैं। इसके अलावा मेजा की 660 मेगावाट, ओबरा की 200 मेगावाट, रिहंद की 500 मेगावाट, सिंगरौली की 500 मेगावाट तथा टांडा की 660 मेगावाट की इकाइयां वार्षिक अनुरक्षण एवं अन्य तकनीकी कारणों से बंद हैं। इन इकाइयों के भी बंद रहने से 2520 मेगावाट का उत्पादन कम हो रहा है।
केंद्रीय पूल से अपेक्षित बिजली नहीं मिल पाने के कारण संकट को संभालना मुश्किल हो रहा है। तीन अक्टूबर को केंद्रीय पूल से जहां 9952 मेगावाट बिजली मिली थी, वहीं चार अक्टूबर को 7526 मेगावाट तथा पांच अक्टूबर को 7979 मेगावाट बिजली मिली। केंद्रीय पूल से मिल रही कम बिजली और कई इकाइयों की बंदी के कारण लगातार बिजली की कटौती करनी पड़ रही है।
इस समय ओबरा परियोजना को एनसीएल से तीन रैक की जगह एक रैक ही कोयला मिल पा रहा है। जहां ओबरा में ढाई लाख टन का स्टोरेज पहले बना रहता था वहीं बुधवार को मात्र 44 हजार टन कोयला उपलब्ध था। ओबरा परियोजना में प्रतिदिन 12 हजार टन कोयले की आवश्यकता होती है। कोयला उत्पादन में कमी के कारण समस्या पैदा हुई है।- इ. दीपक कुमार, मुख्य महाप्रबंधक ओबरा परियोजना।