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1 मिनट की देरी पर हुआ 36 रुपए जुर्माना, ट्रेन ड्राइवर ने उलटे ठोक दिया 14 लाख का मुकदमा, समझें पूरा मामला

गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. जापान के एक ट्रेन ड्राइवर ने अपने ऊपर लगाए गए 56 येन यानी करीब 36 भारतीय रुपये के जुर्माने के बदले कंपनी पर 22 लाख येन यानी करीब 14 लाख रुपये का मुकदमा किया है। इस ड्राइवर की वजह से ट्रेन एक मिनट लेट हो गई थी। ट्रेन चलने में देरी का कारण बने ड्राइवर की सैलरी से 56 येन काट लिए गए थे। अब उस ड्राइवर ने कंपनी पर मुकदमा कर दिया है. इस ड्राइवर के कारण एक ट्रेन को रवानगी में एक मिनट की देर हो गई थी, जिस कारण उस पर जुर्माना लगाया गया था। पिछले साल जून में ट्रेन कंपनी जेआर वेस्ट ने अपने एक ड्राइवर को देरी की वजह बनने पर जुर्माना लगाया था।  उस ड्राइवर का कहना है कि पूरा अनुभव उसके लिए मानसिक तौर पर यातना देने वाला रहा। इसलिए उसने 22 लाख येन का हर्जाना मांगा है।  

कैसे हुई देरी? जापानी समाचार वेबसाइट सोरान्यूज24 ने लिखा है कि इस ड्राइवर को देश के दक्षिण में स्थित ओकायामा स्टेशन से एक खाली ट्रेन को लेकर जाना था। लेकिन वह गलत प्लैटफॉर्म पर पहुंच गया जबकि ट्रेन उसका इंतजार दूसरे प्लैटफॉर्म पर कर रही थी। इस ड्राइवर को जब अपनी गलती का अहसास हुआ तो वह दौड़कर सही जगह पहुंचा। इस कारण पिछले ड्राइवर से काम लेने में उसे दो मिनट की देर हो गई. नतजा यह हुआ कि ट्रेन एक मिनट देर से रवाना हुई और डिपो में एक मिनट देर से पहुंची।

ट्रेन कंपनी जेआर वेस्ट ने पहले तो इस ड्राइवर पर 85 येन का जुर्माना लगाया। लेकिन ड्राइवर ने ओकायामा लेबर स्टैंडर्ड्स इंस्पेक्शन ऑफिस में शिकायत कर दी जिसके बाद कंपनी ने जुर्माना घटाकर 56 येन कर दिया।


स्वीकार नहीं जुर्माना

ड्राइवर ने जुर्माना कटौती का यह फैसला स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उसका कहना है कि ट्रेन की रवानगी में देरी का आम यातायात पर कोई असर नहीं पड़ा और ट्रेन खाली थी तो किसी यात्री को भी नुकसान नहीं हुआ। उधर कंपनी का कहना है कि उसने काम नहीं, वेतन नहीं; नीति के तहत फैसला किया है जो बिना बताए काम से गैरहाजिर रहने के लिए है।

चूंकि उस एक मिनट के दौरान कोई काम नहीं हुआ तो ड्राइवर को जुर्माना लगाया गया। ड्राइवर ने मार्च में ओकयामा जिला न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया था जहां वह अब हर्जाना मांग रहा है। जापान की रेलें समय की पाबंदी के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। समय की पाबंदी का आलम यह है 2017 में एक ट्रेन 20 सेकंड जल्दी आ गई थी तो कंपनी ने लिखित में ग्राहकों से माफी मांगी थी। नियम है कि ट्रेन पांच मिनट लेट हो जाए तो सवारियों को सर्टिफिकेट मिलता है जिसे वे दफ्तर में अपने लेट होने के सबूत के तौर पर दिखा सकते हैं।

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