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काशी में 'वर्दी वाला' छठ पूजा का घाट, आम आदमी की जगह 'खाकी वर्दी' का होता है यहां कब्‍जा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. बाबा भोले की नगरी में वही काशी कोतवाल हैं और कोतवाली भी उन्‍हीं की मर्जी से चलती है और शहर भी बाबा की कृपा पर चलता है। लेकिन, छठ जैसे पर्व पर वर्दी बनारस में आस्‍था पर भी भारी पड़ जाती है। जी हां! बाबा की नगरी में खाकी की धमक इन दिनों भारी पड़ती नजर आ रही है। पूरा मामला वाराणसी में छठ पूजा के लिए घाट को छेकाने का है। वरुणा तट पर साफ और बेहतर जगह पूजा के लिए कोई और न कब्‍जा कर ले लिहाजा लोगों ने जमीन पर अपना नाम ही नहीं बल्कि पद-रुतबा और रुआब भी लिखकर दूसरों को चेतावनी दे रखी है कि 'खबरदार यह घाट हमारा है'।

भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में आस्‍था का उफान छठ जैसे लोक आस्‍था के पर्व पर खूब नजर आता है। घाटों पर वेदी बनाने और अर्घ्‍य देने की परंपरा का निर्वहन भी होता है। अपनी जगह छेक‍ने के लिए लोग पहले ही आकर घाट पर अपना नाम और पद लिखकर दूसरे को अशाब्दिक चेतावनी दे देते हैं कि यह हिस्‍सा फलाने वर्दी वाले का है लिहाजा यहां से दूर ही रहें। कुछ ऐसा ही नजारा रविवार को छठ पर्व से एक दिन पहले वरुणा तट पर पक्‍के घाट क्षेत्र के शास्‍त्री घाट पर नजर आया। जिसने भी यहां वर्दी वाले का नाम देखा वह रुतबा देखकर आगे बढ़ गया।  

काशी में अब यह मानो परंपरा बन गई है कि यहां आस्था में भी वर्दी का रुआब नजर आने लगा है। छठ पूजा की तैयारियां एक ओर जहां जोरों पर हैं और इसके लिए घाटों की साफ-सफाई की जा रही है। लेकिन, वहीं दूसरी ओर आस्था के महापर्व में भी पुलिस अपना रुतबा दिखाने से बाज नहीं आ रही। बनारस में शास्त्रीघाट पर छठ पूजा के लिए वेदी बनाने से पहले ही उप्र पुलिस के परिवार ने यहां कब्जा जमा लिया है। इसी तरह तमाम जगहों पर अलग अलग लोगों के परिवार वाले धौंस दिखाकर अपनी जगह छेका कर पूजा करने के लिए लोक आस्‍था पर्व को रुतबा आस्‍था पर्व साबित करने पर तुले हैं।

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