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कंगना रनौत से वापस लें पद्मश्री, संसद में AAP सांसद ने उठाई मांग

गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के पद्मश्री पुरस्कार को भारत की आजादी पर उनकी टिप्पणी के मद्देनजर वापस लेने का अनुरोध किया। 

संजय सिंह की ओर से उपराष्ट्रपति को लिखे आधिकारिक पत्र में कहा गया, इस तरह के बयान स्वतंत्रता सेनानियों को अपमानित करने, लाखों लोगों की शहादत और वर्षों के संघर्ष को दरकिनार करते हुए दिए जा रहे हैं। आजादी के लिए लड़ने वाले हर भारतीय कहानी पीढ़ियों में देशभक्ति से ओतप्रोत रही है। यहां कुटिल मानसिकता से पद्मश्री धारण करने वाली महिला पद के लालच में इस तरह के राष्ट्रविरोधी बयान देने का विकल्प चुन रही है, यह हर भारतीय का अपमान है। 

आप सांसद ने आगे लिखा, उनका पद्मश्री पुरस्कार वापस लिया जाना चाहिए ताकि कम से कम इस सम्मान की गरिमा को बचाया जा सके। किसी को भी इस तरह की टिप्पणियों से देशवासियों की भावनाओं को आहत करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। इसलिए अनुरोध हैकि नियम 267 के तहत अन्य व्यवसाय सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी जानी चाहिए और राष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम के संबंध में गंभीर चर्चा होनी चाहिए।

बता दें कि बीते नवंबर माह में अभिनेत्री कंगना ने एक टीवी कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारत की स्वतंत्रता एक भीख थी। कंगना ने दावा किया था कि देश को 2014 के बाद वास्तविक आजादी मिली जब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार सत्ता में आई। यही नहीं कंगना ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा था कि स्वतंत्रता सेनानियों क अंग्रेजों को सौंप दिया गया था जो दमन से लड़ने के साहसी नहीं थे लेकिन सत्ता के भूखे और चालाक थे। 

इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर भी तंज कसते हुए लिखा, ये वहीं हैं जिन्होंने हमें सिखाया है, अगर कोई थप्पड़ मारता है तो आप एक और थप्पड़ के लिए दूसरा गाल दे देते हैं और इस तरह आपको आजादी मिलेगी। इस तरह किसी को आजादी नहीं मिलती है, केवल भीख मिल सकती है। इसलिए अपने नायकों की बुद्धिमानी से चुनें। 

इसके अलावा कंगना ने यह भी दावा किया कि महात्मा गांधी ने भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस का कभी समर्थन नहीं किया तो आपको यह चुनने की जरूरत है कि आप किसका समर्थन करते हैं क्योंकि उन सभी को अपनी स्मृति के एक बॉक्स में रखना और हर साल उन सभी को उनकी जयंती पर बधाई देना पर्याप्त नहीं है। वास्तव में यह केवल गूंगा नहीं है, यह अत्यधिक गैर जिम्मेदार है। हमें इतिहास और नायकों को जानना चाहिए।

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