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श्रीकाशी विश्‍वनाथ कारिडोर : काशी में बढ़ेगी तीर्थयात्रियों व पर्यटकों की संख्या, होगा फायदा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से न केवल हिंदूओं बल्कि इसाई व मुस्लिम धर्मावलंबियों में भी हर्ष का माहौल है। इनका मानना है कि काशी विश्वनाथ धाम के भव्य स्वरूप से तीर्थयात्रियों व पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, जिससे बनारस अर्थव्यवस्था सुधरेगी तो बनारस वासियों को इसका लाभ मिलेगा।मैत्री भवन के पादरी के फादर फीलिप डेनिस ने कहा कि हमलोगों के लिए यह ऐतिहासिक क्षण है कि इतने पुराने शहर में सबकी सहमति से काशी विश्वनाथ धाम को भव्य स्वरूप प्रदान किया गया।

बनारस के लोगों के लिए यह गौरव व प्रतिष्ठा का विषय है। सरकार ने इसे अपनी प्राथमिकता में लिया और खुले दिल से काम किया है। सरकार बधाई की पात्र है कि बगैर किसी विवाद के यह काम पूरा हो गया। इसके बनने से तीर्थयात्रियों व पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी, जिसका फायदा बनारसवासियों को होगा। पूर्व पार्षद व अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष मो. शाहिद अली खां, मुन्ना ने केंद्र व राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि काशी के विकास में यह कार्य सराहनीय है। इस दौरान उन्होंने अंजुमन इस्लामियां की ओर से नई सड़क चौराहा व बेनिया तिराहा को झालरों से सजाया था।

मुस्लिम महिलाएं विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से बेहद खुश दिखीं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के अवसर पर काशी में मुस्लिम महिलाओं ने शिव दीपावली मनाई। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं ने यह आयोजन लमही स्थित सुभाष भवन पर किया। इस दौरान मिट्टी का दीपक जलाया व ओम लिखकर दीपावली मनाई। 

मुस्लिम महिलाएं विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से बेहद खुश दिखीं। महिलाओं ने 'सुबह बनारस, शाम बनारस, भोले तेरे नाम बनारस' का नारा लगाया व प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को शुक्रिया कहा। नाज़नीन अंसारी ने कहा कि क्रूर अत्याचारी नृशंस मंगोल शासक औरंगजेब ने 1669 ई. में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवा दिया था, लेकिन सनातन धर्मियों ने कोई प्रतिकार नहीं किया। 

औरंगजेब के कलंक को कुछ हद तक महारानी अहिल्याबाई होलकर ने धोया और अब नरेन्द्र मोदी ने विश्वनाथ जी के मंदिर को पुनर्स्थापित कर भारतीय संस्कृति के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखवा लिया। अब दुनियाभर के सनातनी संस्कृति को मानने वाले काशी आएंगे व हमारी संस्कृति के गौरव से परिचित होंगे।

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