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ओमप्रकाश राजभर: टेंपो चालक फिर हाथी से सफर की शुरुआत अब साइकिल पर हैं सवार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश की राजनीति में चर्चित चेहरा बन चुके हैं। यह ऐसे नेता हैं जिन्होंने टेंपो चालक से उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री तक का सफर तय किया। बड़े लक्ष्य के बूते बगैर किसी संसाधन के अपनी पार्टी खड़ी की। 

राजभर अब प्रदेश में अति पिछड़ों के नेता के रूप में पहचाने बनाने की जुगत में हैं। उनका दावा रहता है कि पूर्वांचल के साथ ही अवध की दर्जनों सीटों पर अति पिछड़ों को प्रभावित करने की उनमें क्षमता है।

● मुखर वक्ता और ओबीसी जातियों में अच्छी पकड़

● यूपी की जमीनी हकीकत का ज्ञान, बातों पर अडिग रहने वाले नेता

● सियासी हवा का अंदाजा लगाने में माहिर

निजी सफर

● नाम- ओम प्रकाश राजभर

● जन्म- 1968 फत्तेपुर खौंदा सिंधौरा, वाराणसी

● पिता- सन्नू राजभर (कोयला खदान में काम करते थे)

● माता- जितना देवी

● शिक्षा- राजनीति शास्त्रत्त् से परास्नातक

●कांशीराम के समय में बसपा से जुड़े

●मुख्यमंत्री मायावती द्वारा जिलों के नाम बदलने के विरोध में पार्टी छोड़ी।

सपा संग गठबंधन

राजभर ने इस बार चुनाव में सपा के साथ गठबंधन किया है। सपा ने उन्हें 18 सीटें दी हैं। भाजपा से रिश्ता तोड़ने व मंत्री पद छोड़ने के बाद से ही राजभर अपने मुद्दों को लेकर लगातार मुखर हैं। ओबीसी आरक्षण में बंटवारे के लिए सामाजिक न्याय समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए हर स्तर पर संघर्ष की मुद्रा में हैं। वह जातीय जनगणना, मुफ्त शिक्षा, शराबबंदी जैसे मुद्दों को लेकर वह जनता के बीच हैं।

सपा, भाजपा को भी राजभर की शक्ति का है अहसास

राजभर की राजनीतिक ताकत का अहसास सपा के साथ भाजपा को भी है। प्रदेश में जब चुनाव के लिए गठबंधन का दौर चल रहा था उस समय भाजपा की तरफ से कई बार उन्हें अपने साथ लाने की कोशिश की गई थी, पर बात बनी नहीं।

सियासी सफर

1995 में पत्नी राजमति को वाराणसी जिला पंचायत के सदस्य का चुनाव जितवाया। 

1996 में बसपा से कोलअसला (अब पिंडरा) से प्रत्याशी थे, चुनाव हारे।

2002 में राजभर ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठन किया। 

2014 में खुद सलेमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उनको महज 66,084 वोट मिले थे।  

2017 के विधानसभा चुनाव में इनकी पार्टी से चार विधायक चुने गए, इनमें राजभर भी हैं।

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