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मऊ और गाजीपुर में दरका मुख्तार अंसारी परिवार का गढ़, अब अगली पीढ़ी पर नजर

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. बांदा जेल में बंद मुख्तार ने पहले खुद आखिरी समय में चुनाव नहीं लडऩे का फैसला किया और मऊ सदर की सीट बेटे अब्बास अंसारी के लिए छोड़ दी। वह पांच बार से लगातार यहां से चुनाव जीत रहा था। अब्बास सपा संग गठबंधन में लड़ रही सुभासपा के टिकट से मैदान में है। 

इसके कुछ ही दिनों बाद गाजीपुर की मुहम्मदाबाद सीट से सपा के बैनर तले नामांकन दाखिल कर चुके उसके बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी ने मैदान छोड़ दिया। सिबगतुल्लाह की जगह उनका बेटा सुहैब उर्फ मन्नू सपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ेगा। सिबगतुल्लाह इस सीट से 2007 और 2012 में विधायक चुने गए थे। इन घटनाओं से राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा हो गई है। जानकार समझ नहीं पा रहे कि यह सपा की की सियासी चाल है या या अंसारी बंधु की मजबूरी।

2017 में बेेटे को उतारकर मुख्तार ने दिए थे संकेत

बीते ढाई दशक से मऊ की सदर सीट माफिया मुख्तार अंसारी का गढ़ रही है। इस बार भी यह प्रदेश की सबसे चर्चित सीटों में शामिल थी। यही चर्चा थी कि मुख्तार अबकी चुनाव लड़ेगा या नहीं। इस चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने मुख्तार के साथ अब्बास को टिकट देने का संकेत भी दे दिया था। फिर आखिरी वक्त में मुख्तार ने चुनाव नहीं लडऩे का फैसला किया। 

उसकी जगह बड़ा बेटा अब्बास अंसारी मऊ सदर की सियासी विरासत को संभालेगा। अब्बास हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में भी घोसी विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर भाजपा के दिग्गज और वर्तमान में बिहार के राज्यपाल फागू चौहान के सामने खड़ा हुआ था और हार गया था। हालांकि चुनाव लड़कर उसने यह संकेत तो दे ही दिया था कि परिवार की राजनीतिक विरासत अब वही संभालेगा।

अखिलेश से मुलाकात के बाद आया सुहैब का नाम सामने 

मुख्तार के ही नक्शेकदम पर चलते हुए सिबगतुल्लाह अंसारी ने भी मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट बेटे सुहैब उर्फ मन्नू को देने का फैसला किया है। सिबगतुल्लाह का नाम हालांकि सपा हाईकमान की ओर से जारी होने वाली प्रत्याशियों की घोषित सूची में नहीं था। उन्हें सिर्फ एक पत्र पर प्रत्याशी बनाया गया था। पत्र भी प्रदेश अध्यक्ष नहीं बल्कि शीर्ष स्तर के एक नेता के हस्ताक्षर से जारी हुआ था। बीते दिनों सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिले के सभी दावेदारों को लखनऊ बुलाया था। इसमें सुहैब भी शामिल थे। सुहैब ने फोन पर बताया कि चुनाव लड़ाने का निर्णय सपा हाईकमान है। इसके बाद उन्होंने नामांकन दाखिल किया है।

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