इलेक्ट्रिक ट्रेन अब रिमोट से होगी कंट्रोल, मालगाड़ी में प्रयोग होगा सिस्टम, रेलवे का बचेगा खर्च
गाजीपुर न्यूज़ टीम, मुरादाबाद. रेलवे में इलेक्टि्रक इंजन से चलने वाली ट्रेनों को रिमोट से कंट्रोल करने की योजना बनाई है। सबसे पहले तीन मालगाड़ी को जोड़कर चलाई जाने वाली लांग हाल ट्रेनों के इंजनों का कंट्रोल रिमोट से किया जाएगा। जिससे बिजली खपत कम होगी और बाधा रहित मालगाड़ी का संचालन किया जा सकेगा। इसके अलावा बजट में 50 इंजन के चालक केबिन में एसी लगाने की व्यवस्था की गई है।
रेल प्रबंधन इन दिनों आय अर्जित करने के लिए अधिक से अधिक माल ढुलाई करने का प्रयास कर रहा है। जिससे लगातार मालगाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है। खर्च कम करने के लिए डीजल इंजन के बजाय इलेक्ट्रिक इंजन से मालगाड़ी को चलाया जा रहा है। कम समय में अधिक माल पहुंचने के लिए तीन-तीन मालगाड़ियों को जोड़कर एक मालगाड़ी बनाकर चलाया जा रहा है। ऐसे ट्रेनों को लांग हाल मालगाड़ी कहा जाता है। इस ट्रेन में तीन इंजन लगे होते हैं, आगे इंजन के आधार पर पीछे के इंजन को शक्ति उपलब्ध करना होता है।
उसी के आधार पर बिजली की आवश्यकता होती है। पीछे के इंजन को बिजली कम या अधिक मिलने पर मालगाड़ी गति नहीं पकड़ पाता है, जिससे अन्य ट्रेनों का संचालन बाधित होता है। रेलवे ने इस समस्या के समाधान के लिए डिस्ट्रिग्यूटेड पावर वायरलेस, रेडियो पावर कंट्रोल प्रणाली तैयार किया है। इसके द्वारा लांग हाल मालगाड़ी के आगे के इंजन के चालक को पता चल जाएगा कि पिछले के इंजन को कितनी बिजली मिली है।
कितनी बिजली चाहिए, पीछे के इंजन कितना भार उठा रहा, इसके जानकारी हो जाएगा। आगे के इंजन के चालक इस सिस्टम के पीछे के इंजन के मान के अनुसार बिजली उपलब्ध कराएगा और लांग हाल मालगाड़ी को निर्धारित गति से चलाएगा। रेल बजट में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 45 इलेक्ट्रिक इंजन में यह सुविधा उपलब्ध कराया जाना है, प्रत्येक इंजन पर उपकरण के लिए 18 लाख रुपये का बजट आवंटित किया है।
इसके अलावा चालकों की सुविधा के लिए 50 इंजन में एसी लगाने का बजट भी आवंटित किया है। इसके लिए प्रत्येक इंजन पर 14.5 लाख रुपये का बजट आवंटित किया है। मुरादाबाद मंडल में औसत प्रत्येक दिन सौ से अधिक मालगाड़ी का संचालन की जाती है, जबकि इस मंडल में 80 मालगाड़ी चलाने की क्षमता है। प्रत्येक माह औसत 160 लांग हाल मालगाड़ी चलायी जाती है। पीछे के इंजन को ठीक बिजली की आपूर्ति नहीं होने से लांग हाल की गति धीमी हो जाती है और पीछे से आने वाली ट्रेनों का संचालन भी बाधित होती है।