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अखिलेश यादव हुए 49 साल के, नाम बदल टीपू से अखिलेश बने

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. 1 जुलाई यानी आज अखिलेश यादव 49 साल के हो गए। बचपन शैतानी भरा रहा। खुद अपना नाम बदला। 22 साल की उम्र में 17 साल की लड़की से प्यार हुआ। 27 साल की उम्र में सांसद बन गए। फिर सबसे कम उम्र में यूपी के मुख्यमंत्री। जन्मदिन के मौके पर आज उनकी जिंदगी के अहम किस्सों को हम लेकर आए हैं।

शुरुआत बचपन से कर रहे हैं…

1 जुलाई 1973 को अखिलेश जब का सैफई में जन्म हुआ तो मुलायम सिंह यादव के खास दोस्त प्रधान दर्शन सिंह यादव ने उनका नाम टीपू रख दिया। गांव वालों को यह नाम समझ नहीं आया फिर जब दर्शन ने उन्हें टीपू सुल्तान के बारे में बताया तब सब समझ गए। अखिलेश 5 साल के हुए तो उनके चाचा प्रो. रामगोपाल यादव उनका एडमिशन करवाने सेंट मैरी स्कूल ले गए।

स्कूल में शिक्षक ओम प्रकाश रघुवंशी फॉर्म भरवाने लगे तो पूछा नाम क्या है, रामगोपाल ने कहा, "टीपू लिखिए।" स्कूल का स्टॉफ हैरान होकर टीपू और रामगोपाल को देखने लगा। तब मुलायम सिंह से फोन पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, "टीपू से ही पूछ लीजिए।" टीपू को नामों के चार ऑप्शन दिए गए। टीपू ने अखिलेश नाम को चुना और फॉर्म में वही नाम दर्ज करवाया। इस दिन से टीपू अखिलेश बन गए। यह बात रामगोपाल ने अपनी किताब 'राजनीति के उस पार' में लिखी है।

पहले सेमेस्टर में सिर्फ दो विषय में पास हुए अखिलेश

पत्रकार सुनीता एरन ने अखिलेश की जिंदगी पर "अखिलेश यादव- बदलाव की लहर" नाम से किताब लिखी है। इसमें उन्होंने लिखा, "अखिलेश 10 साल के हुए तो सुरक्षा कारणों के चलते उनका एडमिशन राजस्थान मिलिट्री स्कूल, धौलपुर में करवा दिया गया। यहां से स्कूलिंग पूरी हुई। एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग के लिए मैसूर का जेएसएस कॉलेज चुना। यहां पहले सेमेस्टर में वह सिर्फ दो विषयों में पास हो पाए।" अखिलेश ने बाद में कहा था कि जितनी बैक मेरी लगी शायद ही किसी बच्चे की लगी हो।"

दूसरी तरफ, डिंपल यादव ने कभी पुणे में तो कभी बठिंडा के आर्मी स्कूल में पढ़ाई की। एक बार तो उन्होंने अंडमान निकोबार द्वीप में रहकर पढ़ाई की। ऐसा इसलिए, क्योंकि पिता कर्नल आरएस रावत का ट्रांसफर जहां भी होता बेटी उनके साथ वहीं चली जाती। साल 1995 में उन्होंने लखनऊ के आर्मी स्कूल से इंटर पास कर लिया। इसी दौरान एक दोस्त के घर अखिलेश और डिंपल पहली बार एक-दूसरे से मिले।

पहली नजर में दिल दे बैठे थे अखिलेश

अखिलेश ने जब पहली बार डिंपल को देखा तभी उन्हें वह पसंद आ गईं। डिंपल की उम्र उस वक्त महज 17 साल थी। दोनों में थोड़ी देर बात भी हुई। यह बातचीत पढ़ाई और परिवार को लेकर थी। 

इस मुलाकात के बाद डिंपल लखनऊ यूनिवर्सिटी में कॉमर्स की पढ़ाई करने चली गईं। अखिलेश एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया के सिडनी यूनिवर्सिटी पहुंचे। अखिलेश की ऑस्ट्रेलिया की पढ़ाई में अमर सिंह की विशेष भूमिका थी।

सिडनी के बाजार में बर्तन खरीदने गए थे अमर सिंह

1996 में अखिलेश को अमर सिंह अपने साथ लेकर सिडनी यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। सिडनी के बाजार में गए। अखिलेश के लिए जो भी जरूरी सामान था उसे उन्होंने खरीदा। इसका जिक्र उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक न्यूज चैनल पर किया था। अमर सिंह ने कहा था कि अखिलेश को किसी चीज की जरूरत होती तो मुलायम सिंह से पहले वह हमें बताते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि वह मुलायम सिंह से डरते थे।

सिडनी गए पर डिंपल को नहीं भूले

अखिलेश जब सिडनी में थे तब डिंपल से फोन पर बात नहीं हो पाती थी। वह उन्हें खत लिखते थे। डिंपल भी उनके खत का जवाब खत लिखकर देती थीं। हालांकि, इसका जिक्र अखिलेश से जुड़ी किसी किताब में नहीं है। अखिलेश जब सिडनी से वापस आए तब दोनों ने शादी करने का मन बना लिया था। मुलायम सिंह इसके लिए राजी नहीं थे। उनके राजी न होने के तीन कारण थे।

डिंपल, यादव जाति की न होकर राजपूत थीं।

डिंपल उत्तराखंड की थीं। उस वक्त उत्तराखंड अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा था।

मुलायम सिंह, अखिलेश की शादी लालू यादव की बेटी मीसा भारती से करवाना चाहते थे।

अमर सिंह और दादी ने शादी के लिए मुलायम को मनाया

मुलायम सिंह को मनाने के लिए अखिलेश ने अपनी दादी मूर्ति देवी का सहारा लिया। 1998 में सपा के डिसीजन मेकर्स माने जाने वाले अमर सिंह से भी पैरवी करवाई। करीब 3 महीने के बाद आखिरकार मुलायम सिंह, डिंपल को अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो गए। 24 नवंबर 1999 को अखिलेश और डिंपल की शादी हुई। उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शादी में पहुंचे थे। उस वक्त यूपी में सपा विपक्षी पार्टी थी।

छुट्टियां मनाने देहरादून पहुंचे तब मुलायम का फोन आया

शादी के बाद अखिलेश और डिंपल दिसंबर 1999 में छुट्टियां मनाने देहरादून गए थे। देहरादून के ही एक मॉल में दोनों खरीदारी कर रहे थे तभी अखिलेश के पास मुलायम सिंह का फोन गया। उन्होंने कहा, तुम्हें चुनाव लड़ना है। अखिलेश हां या ना में कोई जवाब दे पाते इसके पहले ही फोन कट गया। कन्नौज सीट पर हुए साल 1999 में हुए उपचुनाव में अखिलेश ने जीत दर्ज करते हुए राजनीति में प्रवेश किया।

सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बन गए

2004 में अखिलेश यादव दोबारा कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव में उतरे। उन्होंने बसपा के राजेश सिंह को 3 लाख 7 हजार वोटों से हराया। जीत का क्रम 2009 में भी बरकरार रहा और उन्होंने इस बार बसपा के ही महेश चंद्र वर्मा को 1 लाख 15 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया। 2012 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने पूरे प्रदेश में घूम-घूमकर प्रचार किया। नतीजा ये रहा कि सपा पहली बार यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही। 403 में 224 सीटों पर जीत मिली।

अखिलेश यादव 38 साल की उम्र में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके पहले 39 साल की उम्र में मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं। मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश के राजनीतिक जीवन का ग्राफ लगातार नीचे गिरने लगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा को महज 5 सीटों पर जीत मिली। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा 224 से घटकर महज 47 सीट पर सिमट गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ 5 सीटों पर ही जीत मिली। डिंपल यादव कन्नौज से चुनाव हार गईं। 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से अखिलेश के नेतृत्व में सपा पीछे रह गई।

इन सबके बाद अखिलेश पर एयर कंडीशर वाले नेता का ठप्पा लगने लगा। उनके हावभाव में हालांकि कोई असर नहीं नजर आया। 2018 में वह एक न्यूज चैनल के प्रोग्राम में गए थे। एंटी रोमियो स्क्वायड की बात हुई तब अखिलेश ने मजाकिया लहजे में कहा था, "जिस तरह से एंटी रोमियो स्क्वायड यूपी में प्यार करने वाले युवकों पर डंडे बरसा रही है, उस हिसाब से तो योगी जी मेरी शादी ही नहीं होने देते।" - (मीडिया इनपुट्स के साथ)

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