Today Breaking News

बस कंडक्टर का बेटा बना SDM, 20 साल सेना की नौकरी

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, प्रयागराज. परीक्षा में माध्यम नहीं, आपकी तैयारी मायने रखती है। अगर आप परीक्षा से पहले ही मीडियम को लेकर अपने अंदर हीन भावना रखेंगे तो आप कभी भी अपना 100 परसेंट नहीं दे पाएंगे। यह कहना है UPPSC के सेकेंड टॉपर प्रयागराज के प्रेम शंकर पांडेय का।
UPPSC की पीसीएस परीक्षा में दूसरे टॉपर प्रेम शंकर पांडेय अपनी पत्नी और बेटी के साथ।
बस कंडक्टर से रिटायर वशिष्ठ नारायण पांडेय के बेटे प्रेम शंकर पांडेय ने यह सफलता हिंदी माध्यम से अपने दूसरे प्रयास में पाई है। पहले प्रयास में इंटरव्यू तक गए थे।

माध्यम को अपने ऊपर हावी न होने दें

बेली कॉलोनी के रहने वाले प्रेम शंकर पांडेय ने कहा, "मन से पढ़ाई करें तो मीडियम सेकेंड्री हो जाता है। परीक्षा से पहले अगर आपके मन में माध्यम को लेकर के हीन भावना रहेगी तो आप अपना बेस्ट परफॉर्मेंस नहीं दे पाएंगे। माध्यम हिंदी हो या अंग्रेजी आपकी बेहतर तैयारी और आत्मविश्वास ही आपको सिलेक्शन दिलाता है।

उत्तर देते समय प्रस्तुतीकरण बेहतर हो और भाषा सरल हो

प्रेम शंकर कहते हैं, "अगर परीक्षा से पहले ही सोच लिया कि हिंदी माध्यम से सफलता मुश्किल है तो आधी लड़ाई आप यहीं हार जाते हैं।" अपने सिलेक्शन के बारे में बताते हुए कहा, "हमने प्रश्नों का उत्तर देते समय अपने प्रस्तुतीकरण पर ध्यान देने के साथ ही साथ सरल और सहज शब्दों का इस्तेमाल किया।"

प्रेम शंकर पांडेय से जब यह सवाल किया गया कि क्या इंटरव्यू के बाद आप यह सोचे थे कि आप पीसीएस परीक्षा के सेकेंड टॉपर होंगे ? तो उन्होंने कहा कि इंटरव्यू देने के बाद अपने सिलेक्शन को लेकर मैं आशान्वित था लेकिन यह नहीं सोचा था कि मैं सेकेंड टॉपर बनूंगा।

इंटरव्यू में विषय से संबंधित कोई सवाल नहीं पूछा गया

इंटरव्यू में किस तरह के सवालों का सामना करना पड़ा? इस पर प्रेम शंकर ने बताया, "इंटरव्यू अलग-अलग मुद्दों पर उनसे सवाल किए गए। बोर्ड ने हमसे परिस्थितिजन्य सवाल ज्यादा किए थे। हमसे पूछा गया था कि एयरफोर्स और प्रशासन के अनुशासन में क्या अंतर है? एयरफोर्स में ऐसी कौन सी व्यवस्था है, जिसे आप प्रशासन में लागू करना चाहेंगे?

प्रेम शंकर ने बताया, पिछली बार के मुकाबले इस बार इंटरव्यू की तकनीक में काफी बदलाव देखा गया। इस बार नैतिक मूल्यों पर ज्यादा सवाल किए गए। हमसे सब्जेक्ट से एक भी सवाल नहीं पूछा गया था। नैतिकता, एथिक्स और सिचुएशन से संबंधित सवाल किए गए।

मुझे से पूछा गया कि भारत की नैतिकता को कैस आंकेंगे। सोशल मीडिया के जमाने में बच्चों में नैतिकता कम हो रही है आप इसे कैसे ठीक करेंगे। मैं सेना से रिटायर अफसर हूं। मुझसे भ्रष्टाचार से सवाल ज्यादा पूछे गए।

एयरफोर्स की नौकरी, आयोग से RO बने और अब एसडीएम

प्रेम शंकर पांडेय ने मीडिया को बताया, मैंने 12वीं तक की पढ़ाई जीआईसी, प्रयागराज से पूरी की है। इसके बाद एयरफोर्स में चयन हो गया। 20 साल तक इंडियन एयर फोर्स में सेवाएं दीं। 2020 में रिटायर हुए तो समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) परीक्षा-2021 में आरओ के पद पर चयन हुआ। सितंबर 2023 में ही आरओ के पद पर लखनऊ में ज्वॉइन किया है।

PCS 2022 की परीक्षा में इंटरव्यू तक गए पहुंचे

प्रेम शंकर ने बताया, पीसीएस- 2022 की परीक्षा में मेरा प्रीलिम्स और मेंस हुआ था। मैंने इंटरव्यू दिया था लेकिन अंतिम रूप से सफल नहीं हो पाया था। यह मेरा दूसरा प्रयास है।

4 भाइयों में तीसरे नंबर के प्रेम शंकर ने बताया, "उनके पिता वशिष्ट नारायण पांडेय बस कंडक्टर के पद से रिटायर हो चुके हैं और मां कृष्णा पांडेय गृहणी हैं। मैं लखनऊ के अर्जुनगंज में अपनी पत्नी शिप्रा पांडेय और बेटी मनस्वी के साथ रहता हूं। मेरी बेटी कक्षा-तीन में पढ़ती है।"

शुरू से ही पढ़ने में तेज था प्रेम

पिता वशिष्ठ नारायण पांडेय ने बताया, "प्रेम शुरू से ही पढ़ने में मेधावी था। प्रेम शंकर पांडेय ने बताया, इंटर करने के बाद 2002 में ही उसका चयन एयरफोर्स के सार्जेंट पद पर हो गया था। इसके बाद नौकरी में ही प्राइवेट से छात्रपति शाहूजी महराज विश्वविद्यालय कानपुर से बीए और एमए की पढ़ाई की।

'