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1 वर्ष में 2 विधायकों की निर्मम हुई थी हत्या, योगी सरकार को कोसने वाली सपा सरकार में ऐसी थी कानून व्‍यवस्‍था

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर/प्रयागराज. यूपी की मौजूदा योगी आदित्यनाथ की सरकार को लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर घेरने की कोशिश करने वाली समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में बाहुबलियों का कितना बोलबाला था? कानून व्यवस्था कितनी लचर थी? इसका जीत-जागता उदाहरण वर्ष 2005 में देखने को मिला था जब दो सिटिंग विधायकों की दिनदहाड़े गोलियों से भूनकर दुःसाहसिक तरीके से हत्या कर दी जाती है।
25 जनवरी 2005 को प्रयागराज के नेहरू पार्क, जीटी रोड मोड पर मौजूदा बसपा विधायक राजू पाल की गाड़ी को घेरकर चारों तरफ से अंधाधुंध फायरिंग की जाती है। इतना ही नहीं जब गम्भीर रूप से घायल राजूपाल को ऑटो में डालकर अस्पताल ले जाया जा रहा था तो भी गाड़ी का पीछा करते हुए हमलावरों ने गोलियां मारीं। हमले में बसपा विधायक राजू पाल हत्या के साथ ही देवी दयाल और संदीप यादव की भी मौत हो गई और कुछ लोग घायल हुए। विधायक राजूपाल हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप बाहुबली माफिया अतीक अहमद और छोटे भाई अशरफ उनके गुर्गों पर लगा।

बीजेपी विधायक कृष्‍णानंद राय हत्‍याकांड
वहीं इसी साल दूसरी घटना बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड थी। इससे गाजीपुर ही नहीं पूरा पूर्वांचल थर्रा उठा था। राजूपाल हत्याकांड से भी बड़ी दुःसाहसिक घटना को अंजाम दिया गया था। 29 नवंबर, 2005 को गाजीपुर में बीजेपी विधायक कृष्णानंद एक क्रिकेट प्रतियोगिता कार्यक्रम से वापस लौट रहे थे। रास्ते मे घात लगाकर राकेश पांडे और मुन्ना बजरंगी ने ऑटोमैटिक गन से 500 से ज्यादा गोलियां बरसाई थीं।

इसमें विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की मौत हो गई थी। इस बड़े दुःसाहसिक हत्याकांड का आरोप पूर्वांचल के बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी और उसके भाई अफजाल अंसारी पर लगा था। हालांकि मुख्तार अंसारी जेल में थे लेकिन विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड मुख्तार अंसारी की ही बड़ी साजिश थी।

दोनों विधायकों की हत्या की बड़ी घटनाएं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में हुईं। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का हाथ पूर्वांचल के बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी और प्रयागराज की बाहुबली माफिया अतीक अहमद के ऊपर था। इसका असर पुलिस जांच पर भी दिखा। दोनों घटनाओं की विवेचना में पुलिस ने इतने झोल पैदा किए कि उसे सही दिशा में लाने में वादी और जांचकर्ता को पूरे 19 साल लग गए। हालांकि विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड का फैसला विधायक राजूपाल हत्याकांड से पहले आया लेकिन दोनों मुकदमों का फैसला आने में पूरे 19 साल लग गये।

आखिरी फैसला से पहले ही हुई मौत
साल 2005 में प्रयागराज में विधायक राजू पाल हत्याकांड और गाजीपुर में विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड दोनों मामलों के आरोपियों की फैसला आने से पहले ही मौत हो गई। प्रयागराज में बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के आरोपी बाहुबली माफिया अतीक अहमद,अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ उर्फ खालिद अजीम की हत्या हुई। अतीक अहमद के रिश्तेदार माफिया गुलफुल को कोरोना ने निगल लिया। वहीं विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में आरोपी मुन्ना बजरंगी, राकेश पांडेय और रिंकू तिवारी भी मारे जा चुके हैं। और अब विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड के मास्टरमाइंड पूर्वांचल की सबसे बड़े बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी भी नहीं रहे। 28 मार्च को जेल में तबियत खराब होने के बाद उनकी मौत हो गई।
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