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बेटे के सामने मां का रेप...पति पूछने गया तो उसे मारा; 7 वर्ष बाद 7 साल की सजा

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, सोनभद्र. सोनभद्र जिले के चोपन थाना इलाके की रहने वाली महिला पास के ही जंगल में किसी काम से गई थी। उसके साथ उसका आठ साल का बेटा भी था। काम से लौटते समय करीब शाम के छह बज गए थे। रास्ता सूनसान था। इसी बीच उसे रास्ते में ही इलाके का रहने वाला राम सकल मिल गया।
महिला अपने बेटे के साथ आगे बढ़ी तब तक राम सकल के दो दोस्त भी वहां पहुंच गए। महिला की मानें तो राम सकल उसे जंगल की ओर खींचकर ले गया। उसके साथ दुष्कर्म किया। महिला के साथ उसका आठ साल का बेटा भी ये सब देख रहा था।

मैं जंगल के रास्ते अपने घर लौट रही थी, तभी राम सकल और उनके दो दोस्तों ने मुझे रास्ते में रोक लिया। मैं कुछ समझ पाती इससे पहले मुझे खींच कर ले गए। मेरे साथ दुष्कर्म किया गया। ये सब तब हुआ जब मेरा आठ साल का बेटा मेरे साथ था'। यह उस महिला का बयान है जिस पर कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को बुधवार को सात साल की सजा सुनाई है। साथ ही 11 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है।

मां के साथ हो रही इस हैवानियत को वो देख न सका वहां से किसी तरह से भागकर अपने घर आया। घर में पिता को सारी बातें बताई और कहा कि मां के साथ जंगल में कुछ लोग बुरा बर्ताव कर रहे हैं। महिला के पति को जब इसके बारे में जानकारी हुई तो वह भागकर सीधे जंगल की तरफ भागा। वहां पहुंचा तो रामसकल और उसके दो साथी वहां मौजूद थे। महिला ने अपने प्रार्थना पत्र में बताया कि जब पति ने राम सकल और उसके दोस्तों से घटना के बारे में पूछा तो तीनों ने गालियां देना शुरू कर दिए।

इतना ही नहीं पति पर तीनों ने हमला कर दिया और उसे मौके पर ही मारपीट कर घायल कर दिया। मुझे और मेरे पति को कहा गया कि अगर किसी से इस घटना के बारे में बताया तो जान से खत्म कर देंगे। हम जंगल से किसी तरह घर लौटे। वारदात से पति पूरी तरह से डर गए थे। उन्होंने कुछ लोगों को इसके बारे में जानकारी दी और आगे क्या करें ये भी सलाह लिया। गांव के लोगों ने पति से कहा कि चुप रह जाना ठीक नहीं है। परिवार के लिए लड़ना ही होगा।
अगले दिन मैं पति के साथ मैंने इसकी जानकारी थाने और सोनभद्र एसपी को दी गई। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। मैंने मामले को लेकर कोर्ट जाने का फैसला किया। कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर गुहार लगाई। सोनभद्र की अपर सत्र न्यायालय ने मामले को प्रथम दृष्यता में सही मानते हुए आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दे दिया।

पुलिस ने मामले की विवेचना की। मुझसे मेरे पति से पूछताछ की गई। मैंने जांच में सारी जानकारी पुलिस से साझा की अपने साथ हुए हैवानियत को बताया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दिया।

स्थानीय लोगों की मानें तो इस दौरान रामसकल और उसके साथ के लोगों ने कई बार पीड़िता के परिवार से संपर्क किया। दबाव बनाने की कोशिश भी की। साथ ही समझौते के लिए कहा। लेकिन पीड़िता और उसके परिवार ने तय कर लिया था कि उनके साथ जो हुआ है। उसके लिए सजा से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। ऐसे में सालों तक लंबी लड़ाई जारी रही। आखिरकार पीड़िता को मामले में न्याय मिला।

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर कोर्ट ने दोष सिद्ध पाया। अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी सीएडब्लू परितोष श्रेष्ठ की अदालत ने दोषी राम सकल पुत्र अर्जुन निवासी कोटा टोला थाना चोपन को सात वर्ष कैद की सजा सुनाई है। आरोपी पर 11 हजार रुपए अर्थदंड भी कोर्ट की तरफ से लगाया गया है।

अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की राशि में से साढ़े पांच हजार रुपए पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील विनोद कुमार पाठक ने बहस किया। अदालत के इस फैसले के बाद पीड़िता ने कहा कि लंबी लड़ाई के बाद उसे न्याय मिला है।
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