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इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा इस्तीफा देंगे, आवास पर मिले जले नोटों की जांच में दोषी पाए गए

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, प्रयागराज. जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर नकदी मिलने के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना को सौंप दी है। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया है। पता चला है कि जस्टिस वर्मा को इस्तीफा दे सकते हैं। लेकिन, अगर वो इस्तीफा नहीं देते, तो उनकी बर्खास्तगी के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश भेजी जाएगी।
जस्टिस वर्मा को CJI को जवाब देने के लिए शुक्रवार, 9 मई तक का समय दिया गया है।

4 मई को जांच रिपोर्ट CJI को सौंपी गई थी
CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा मामले की जांच करने के लिए 21 मार्च को कमेटी बनाई थी। इसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे। कमेटी ने 25 मार्च को जांच शुरू की थी। 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ट्रांसफर के विरोध में
जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद भेजने की बात का 23 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध किया था। बार ने जनरल हाउस मीटिंग बुलाई थी। इसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया था।
यह तस्वीर 14 मार्च की है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग में 500-500 के नोट जले थे।
साथ ही मामले की जांच ED और CBI से कराने की मांग का भी प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के CJI को भी भेजी गई थी। एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने 27 मार्च को CJI संजीव खन्ना और कॉलेजियम के सदस्यों से मिलकर ट्रांसफर पर पुनर्विचार करने की मांग की थी।

जस्टिस यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही बतौर जज नियुक्त हुए थे। इसके बाद अक्टूबर, 2021 में उनका दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था। जज बनने से पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे हैं।

अब जानिए क्या है मामला...
जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी। उनके घर के स्टोर रूम जैसे कमरे में 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले। सवाल खड़ा हुआ कि इतना कैश कहां से आया। मामले ने तूल पकड़ा।

14 मार्च: कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने यह मामला राज्यसभा में उठाया। उन्होंने न्यायिक जवाबदेही का मसला उठाते हुए सभापति से इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ महाभियोग के संबंध में लंबित नोटिस का जिक्र किया था।

22 मार्च: CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट चीफ जस्टिस से जस्टिस वर्मा को कोई भी काम न सौंपने को कहा था।

22 मार्च: देर रात सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस के घर से 15 करोड़ कैश मिलने का वीडियो जारी किया। 65 सेकेंड के वीडियो में नोटों से भरी जली बोरियां दिखाई दे रही हैं। मामले के खुलासे के बाद से जस्टिस वर्मा खुद ही छुट्टी पर हैं।

21 मार्च: जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट होने का प्रस्ताव बनाया गया।

जस्टिस यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही बतौर जज नियुक्त हुए थे। इसके बाद अक्टूबर 2021 में उनका दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। जज बनने से पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे हैं।

 
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