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डालिम्स सनबीम स्कूल में शिक्षिका के यौन उत्पीड़न पर एक्शन में कोर्ट, फाइनल रिपोर्ट लगाने वाले दरोगा की जांच शुरू

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. वाराणसी के चर्चित डालिम्स सनबीम स्कूल में तत्कालीन शिक्षिका के यौन उत्पीड़न के मामले में वाराणसी सीजेएम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। स्कूल परिसर में शिक्षिका से अश्लीलता और शारीरिक संबंध बनाने के दबाव को प्रथम दृष्टया लैंगिक अपराध माना है। केस में वादिनी को उत्पेषित किए जाने और बिना मजिस्ट्रेट बयान के फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने पर नाराजगी भी जताई है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार ने कहा किडालिम्स स्कूल के डीन के खिलाफ दर्ज केस की विवेचना संदिग्ध, संवेदनहीन और विधि मानकों के विपरीत है। फाइनल रिपोर्ट से प्रतीत होता है कि विवेचक अभय सिंह परिहार अभियुक्तगणों (प्रिंसिपल और डीन) को जानबूझकर को संरक्षित कर रहे हैं।

कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि विवेचक दरोगा ने केस में पीड़िता का कोई बयान 183 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष नहीं दर्ज कराया। जबकि फाइनल रिपोर्ट में लैंगिक अपराध का अभिकथन किया गया। 28 मई को दर्ज केस में महज 7 दिन में विवेचना पूरी करके फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार ने सिगरा के सनबीम स्कूल डीन के खिलाफ दर्ज केस में 7 दिन के अंदर फाइनल रिपोर्ट लगाने वाले विवेचक दरोगा अभय सिंह परिहार के खिलाफ कठोर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस कमिश्नर को ऑर्डर भेजकर दरोगा के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट 15 दिन में तलब की है।

कोर्ट की सख्ती और विवेचक की जांच के आदेश के बाद सनबीम स्कूल के प्रिसिंपल के खिलाफ केस दर्ज कराने वाली महिला को न्याय की उम्मीद जगी। उधर, एफआर लगाने का खुलासा होने के बाद स्कूल और विवेचक के बीच मामले की लीपापोती करने के लिए साठगांठ किए जाने के आरोप भी लग रहे हैं। हालांकि जांच में ऐसा मिलने पर दोनों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई संभावित है।

पहले बताते हैं पूरा घटनाक्रम
सिगरा स्टेडियम के पास डालिम्स सनबीम स्कूल की एक ब्रांच का संचालन किया जाता है। स्कूल की पूर्व महिला टीचर ने दो महीने पहले यानि 28 मई को स्कूल के डीन सुभोदीप डे पर छेड़खानी का आरोप लगाया था। पीड़ित महिला टीचर ने सिगरा थाने में FIR दर्ज कराई थी। उसने पुलिस को बताया था कि उस पर कई बार यौन उत्पीड़न का प्रयास किया गया, इसमें स्कूल की प्रिंसिपल प्रतिभा त्रिवेदी की सहमति भी जताई।

दर्ज केस में टीचर ने बताया कि 27 मई को लगभग 11 बजे शिक्षण कार्य के बाद मिले समय में अपने पति को फोन कर रही थी। इसी दौरान स्कूल के डीन सुभोदीप डे आ गए और उसके हाथ से फोन छीन लिया। अश्लीलता करते हुए कहा कि जब रोज बुलाते हैं तो फ्लैट पर नहीं आती हो। अब मोबाइल लेना है तो रात को मेरे फ्लैट पर चुपचाप अकेले आ जाना। इतना कहकर फोन लेकर चले गए।

पीड़िता ने घटना की जानकारी पहले अपने पति को दी तो उन्होंने प्रिंसिपल प्रतिभा त्रिवेदी से आकर बात करने को कहा। मामले की जानकारी पर डीन ने तत्काल प्रभाव से शाम 4.30 बजे शिक्षिका का निष्कासन पत्र बनवा दिया और बिना किसी नोटिस के सेवाएं समाप्त करने का पत्र थमा दिया। प्रिंसिपल ने भी पीड़िता की एक नहीं सुनी और उसका पक्ष भी नहीं जानना चाहा।

इससे पीड़िता को गहरा आघात लगा और उसने सिगरा थाने जाकर पुलिस को मामले की जानकारी दी। बताया कि स्कूल में अक्सर महिलाओं से बातों बातों में शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाता है। इसमें प्रिसिंपल की सहमति भी रहती है, ऐसा ही पीड़िता के साथ भी हुआ है।

पीड़िता शिक्षिका ने कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट को दिया चैलेंज
डालिम्स सिगरा में महिला अध्यापिका के साथ छेड़खानी प्रकरण की सरगर्मी अब कोर्ट में हो गई है। मामले में पीड़ित अध्यापिका ने अधिवक्ता के साथ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने फाइनल रिपोर्ट को चैलेंज किया। कोर्ट में विवेचक पर धारा 183 बी एन एस एस का बयान मजिस्ट्रेट के सामने ना करवाने का आरोप लगाते हुए विवेचक पर आरोपी के पक्ष के प्रभाव में विवेचना करने का भी आरोप लगाते हुए दलीलें दी।

इसके बाद कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस कमिश्नर वाराणसी को विवेचक की विभागीय जांच कर पंद्रह दिन में जांच रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का दिशा निर्देश दिया। इसके बाद जज मामले में अगली कार्रवाई के लिए संबंधित को तलब करेंगे। विधिक विशेषज्ञों की माने तो केस में पुन: विवेचना का आदेश हो सकता है साथ ही जांच को प्रभावित करने वालों पर विधिक कार्रवाई भी संभावित है।
 
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