गाजीपुर में 450 साल पुराना शिव मंदिर ढहा, शिखर और घंटा अभी भी सुरक्षित
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर में भारी बारिश के कारण रामगंगा घाट पर स्थित लगभग 450 साल पुराना एक शिव मंदिर ढह गया। सदर कोतवाली क्षेत्र के राजागांधी की गढ़ी, जिसे किला कोहना भी कहा जाता है, में यह ऐतिहासिक घटना बीती रात हुई। मंदिर का आधा हिस्सा गंगा नदी में समा गया।
लगातार तीन दिनों की बारिश के चलते मंदिर के नीचे की मिट्टी खिसक गई। रात करीब 9:30 बजे शिव मंदिर का आधा ढांचा भरभराकर गिर पड़ा। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि मंदिर का एक हिस्सा गंगा की धारा तक पहुंच गया है, हालांकि शिखर और घंटा अभी भी दिखाई दे रहे हैं।
हादसे के बाद जिला प्रशासन ने रामगंगा घाट पर आम लोगों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी है। सुरक्षा के मद्देनजर बैरिकेडिंग लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया है और पुलिस बल भी तैनात किया गया है।
पिछले लगभग 30 सालों से मंदिर की देखभाल कर रहे पुजारी काशीदास ने बताया कि मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य चल रहा था। उन्होंने यह भी बताया कि जिस समय मंदिर का हिस्सा गिरा, उस वक्त घाट पर मौजूद दो लोगों ने गंगा में कूदकर अपनी जान बचाई।
रामगंगा घाट न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि इतिहास और आस्था का प्रतीक भी है। मान्यता है कि राजा गाधी के पुत्र विश्वामित्र भगवान राम और लक्ष्मण को इसी स्थान पर लाए थे। कहा जाता है कि भगवान राम ने यहीं गंगा स्नान किया था, जिसके कारण इस घाट का नाम रामगंगा घाट पड़ा। यहीं से गंगा के उस पार ताड़ी घाट है, जहां भगवान राम ने ताड़का का वध किया था।
बरसों से आस्था का केंद्र रहा यह शिव मंदिर अब इतिहास के एक दर्दनाक अध्याय में बदल गया है। फिलहाल प्रशासन ने घाट पर लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी है और मंदिर के अवशेषों को सुरक्षित करने की तैयारी चल रही है। लेकिन इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है। क्या हमारी धरोहरें प्राकृतिक आपदाओं के आगे सुरक्षित हैं?