गाजीपुर में कांग्रेस महिला जिलाध्यक्ष ने कांस्टेबल को जड़ा थप्पड़, पुलिसकर्मी पर गलत तरह से छूने का आरोप
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के आह्वान पर जिला व शहर कांग्रेस कमेटी ने गुरुवार को भाजपा कार्यालय के घेराव का कार्यक्रम तय किया था। हालांकि, पुलिस ने घेराव से पहले ही सख्ती दिखाते हुए अधिकतर कांग्रेस नेताओं को हाउस अरेस्ट कर लिया। इसके बावजूद कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए, जिसके बाद हालात तनावपूर्ण हो गए।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुनील राम और शहर अध्यक्ष संदीप विश्वकर्मा के नेतृत्व में दर्जनों कार्यकर्ता बैनर और झंडे लेकर छावनी लाइन स्थित भाजपा कार्यालय की ओर बढ़ने लगे। जैसे ही प्रदर्शनकारी शहर कोतवाली क्षेत्र में पहुंचे, वहां पहले से तैनात भारी पुलिस बल ने उन्हें रोक लिया।पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच नोकझोंक के बाद कई कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया।
इसी दौरान कांग्रेस की महिला जिलाध्यक्ष महबूब निशा भी प्रदर्शन में शामिल थीं। महबूब निशा का आरोप है कि धक्का-मुक्की के दौरान एक पुरुष पुलिस कॉन्स्टेबल ने कथित तौर पर उनके पेट में हाथ लगाया, जिससे उनके कपड़े भी खिंच गए।इस पर आक्रोशित होकर महबूब निशा ने कॉन्स्टेबल की पीठ पर थप्पड़ जड़ दिया। यह घटना मौके पर मौजूद लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई।
महबूब निशा ने मौके पर ही विरोध दर्ज कराते हुए कहा- महिला प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए महिला कांस्टेबल की मौजूदगी अनिवार्य होती है।उन्होंने आरोप लगाया कि घटना के समय उन्हें पुरुष कांस्टेबल ने रोका, जबकि महिला कांस्टेबल बाद में पहुंचीं। उनका कहना है कि यह लापरवाही महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा गंभीर मामला है।
महबूब निशा ने बताया कि धक्का-मुक्की में उन्हें चोटें आई हैं और उनकी चूड़ियां भी टूट गईं। उन्होंने इस घटना को निंदनीय बताते हुए कहा कि हम राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी को बदनाम नहीं होने देंगे। महिलाओं की गरिमा से जुड़े ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार को दबाने के लिए अनावश्यक सख्ती बरती गई।वहीं, पुलिस की ओर से अभी इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। फिलहाल, भाजपा कार्यालय घेराव को लेकर हुआ यह विवाद राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
