कहानी: का से कहूं "क्यों दोनों सहेलियां टूट कर बिखर गईं" ग़ाज़ीपुर न्यूज़11:09 am हालात और मजबूरी कभीकभी इंसान को इतना विवश कर देते हैं कि अपने दुख पर वह जी भर कर रो भी नहीं पाता. सुकन्या भी इसी स्थिति में थी. कहने क...Read More
कहानी: दहेज ग़ाज़ीपुर न्यूज़10:58 am डाक्टर के केबिन से बाहर निकल कर राहुल सिर पकड़ कर बैठ गया. उस की मम्मी आईं और उस से पूछने लगीं, ‘‘डाक्टर ने ऐसा क्या कह दिया कि तू अपना सि...Read More
कहानी: देर आए दुरुस्त आए ग़ाज़ीपुर न्यूज़12:16 pm ईशा के साथ रहते हुए भी अनीता यह क्यों नहीं जान पाई कि उस की जिंदगी में ऐसा कौन सा दुख था जिस के कारण उस की बेटी उस से दूर होना चाहती थी. ...Read More
कहानी: एक नई शुरुआत ग़ाज़ीपुर न्यूज़9:43 am चंदर एक फैक्टरी में सुपरवाइजर के पद पर काम करता था और अपनी तनख्वाह का ज्यादातर हिस्सा यारीदोस्ती और दारूबाजी में उड़ा देता. बिखरे पड़े घ...Read More
कहानी: सांझ का साथी ग़ाज़ीपुर न्यूज़9:31 am जीवनसाथी का साथ छूट जाए, वह भी जीवन संध्या में, तो उस सूनेपन को सिर्फ वही समझ सकता है जिस ने वह अकेलापन जिया हो. दीप्ति कहां समझ पाई थी अप...Read More
कहानी: दूर ही रहो - "किसकी यादों में खोया था गौरव?" ग़ाज़ीपुर न्यूज़9:25 am दिल की भावनाओं को रिश्ते में परिभाषित करना जरूरी है क्या? क्यों उन्हें कोई नाम दिया जाए. दो दिल एकदूसरे को समझ रहे हैं, क्या यह काफी नहीं ...Read More