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गाजीपुर: फागू चौहान के बहाने अपनी सियासी गोटी बैठाई भाजपा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाए जाने पर भाजपा सरकार के फैसले के राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि भाजपा इसके जरिये पिछड़ा कार्ड खेली है। एक तो अगले साल बिहार विधानसभा का चुनाव होना है। दूसरे यूपी के इस पूर्वांचल में भी अति पिछड़ी चौहान(नोनिया) बिरादरी को अपनी ओर आकर्षित करने की गुंजाइश भाजपा को मिलेगी। गाजीपुर समेत पूर्वांचल के कई जिलों में चौहान बिरादरी की बड़ी आबादी है। खासकर गाजीपुर में जखनियां तथा जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र में चौहान बिरादरी के बड़े पैकेट हैं।

हालांकि चौहान बिरादरी की अगुवाई का दावा जनवादी पार्टी करती है। बीते लोकसभा चुनाव में यह पार्टी सपा-बसपा गठबंधन के साथ थी। खुद जनवादी पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय चौहान चंदौली सीट से गठबंधन के उम्मीदवार थे। वैसे उन्हें जीत नहीं मिली थी, लेकिन पूर्वांचल की गाजीपुर, घोसी(मऊ) तथा जौनपुर सीट पर भाजपा को भी हार का मुंह देखना पड़ा था। गाजीपुर में भाजपा से जुड़े चौहान बिरादरी के लोगों का कहना है कि मूलतः पड़ोसी जिला आजमगढ़ के रहने फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाने से निश्चित रूप से पार्टी को राजनीतिक लाभ मिलेगा। इसको लेकर गाजीपुर में भी बिरादरी के लोग उत्साहित हैं।

फागू चौहान अति पिछड़े वर्ग के प्रदेश के बड़े नेताओं में शुमार हैं। आजमगढ़ शहर से सटे गांव शेखपुरा बद्​दोपुर के रहने वाले हैं। बिहार के राज्यपाल पद पर लालजी टंडन की जगह उनकी नियुक्ति हुई है। निवर्तमान में वह घोसी(मऊ) के भाजपा विधायक के साथ ही उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन रहे हैं। फागू चौहान सन् 1985 में पहली बार दमकिपा से उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचे थे। उसके बाद सन् 1991 में घोसी सीट से जनता दल के टिकट पर दूसरी बार विधायक बने थे। 

सन् 1996 में तीसरी बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने थे। उसीक्रम में वह उत्तर प्रदेश की रामप्रकाश गुप्त एवं राजनाथ सिंह के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे। साल 2002 में भाजपा टिकट पर ही फागू चौहान विधायक बने थे। बसपा के साथ बनी गठबंधन की सरकार में कारागार एवं जेल सुधार मंत्री बने थे। फिर वह वर्ष 2006 में बसपा में शामिल हो गए तथा 2007 में बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। उसके बाद बसपा की मायावती सरकार में मंत्री बने थे, लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार मिली थी। फिर फागू चौहान वर्ष 2014 में भाजपा में लौट आए और वर्ष 2017 में एक बार वह विधायक चुने गए थे।
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