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उत्तर प्रदेश के जेलों में निगरानी व्यवस्था होगी और भी हाईटेक, त्रि-स्तरीय होगा सुरक्षा घेरा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, उत्तर प्रदेश की जेलों में निगरानी की व्यवस्था और भी हाईटेक करने की तैयारी चल रही है। जेल विभाग ने सीसीटीवी कैमरों और जैमरों को उच्चीकृत करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। इसके अलावा प्रदेश की पांच जेलों को हाई सेक्योरिटी जेलों में तब्दील किया जा रहा है।

जेलों की गतिविधियों की सटीक निगरानी के लिए स्थापित पुराने सीसीटीवी कैमरों को हटाकर पांच मेगापिक्सल क्षमता के कैमरों को लगाने का प्रस्ताव है। मौजूदा सीसीटीवी कैमरों की क्षमता ऐसी नहीं है कि उससे बंदियों की गतिविधियों पर प्रभावी नजर रखी जा सके। इसी तरह जेलों में बंदियों द्वारा मोबाइल के इस्तेमाल को पूरी तरह रोकने के उद्देश्य से स्थापित 'टू' जी व 'थ्री' जी जैमरों को 'फोर' जी और 'फाइव' जी जैमरों में उच्चीकृत करना जरूरी हो गया है। जैमर प्रभावी न होने से मोबाइल के इस्तेमाल पर पूरी रोक नहीं लग पा रही है, क्योंकि ज्यादातर मोबाइल अब फोर जी सिम से चल रहे हैं। 

त्रि-स्तरीय होगा सुरक्षा घेरा
माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या के बाद हाई सिक्योरिटी जेल बनाने की पहल अब मुकाम पर पहुंचने वाली है। डीजी जेल आनन्द कुमार की पहल पर शासन ने पांच जेलों को हाई सिक्योरिटी जेलों में तब्दील करने की मंजूरी दी थी। इसकेत तहत लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, बरेली, चित्रकूट व आजमगढ़ जिला जेल को हाई सिक्योरिटी जेल में तब्दील किया जा रहा है। इन जेलों में तिहाड़ जेल की तर्ज पर तीन स्तरीय चेकिंग व सुरक्षा घेरा बनाया जा रहा है। इन जेलों के मुख्य गेट पर बैगेज स्कैनर और फुल बॉडी स्कैनर समेत अन्य अत्याधुनिक उपकरण लगाए जा रहे हैं। इन जेलों में मुख्य द्वार के बाहर व जेल के भीतर सीसी रोड होगी और बाइक से पेट्रोलिंग होगी। उच्च सुरक्षा बैरकों की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी। हर हाई सिक्योरिटी जेल में 100-100 उच्च सुरक्षा बैरक होगी। हाई सिक्योरिटी जेलों में एक हजार कुख्यात अपराधियों को कड़ी निगरानी में रखा जा सकेगा। 

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