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लॉकडाउन : बेटे की लाश घर में पड़ी रही, माता-पिता नेपाल में तड़पे

गाजीपुर न्यूज़ टीम, पीलीभीत. जवान बेटे की लाश घर में पड़ी थी और बुजुर्ग माता पिता नेपाल में रो रहे थे। वहीं पिता की मौत के गम में बेटी का भी हाल बेसुध था। कोरोना के कारण लॉकडाउन ने एक ओर लोगों का रोजगार छीना तो दूसरी ओर रिश्तों को न निभा पाने का भी दर्द लोगों के दिलों में हैं।  यूपी के पीलीभीत में बिलसंडा के मकरंदपुर नका गांव के 75 लोग पत्नी बच्चों संग अक्टूबर में दो स्थानीय ठेकेदारों के साथ नेपाल गए थे। इनमें बाबूराम भी शामिल थे। उनके साथ पत्नी राजकुमारी और नीतिन माया भी हैं।

सभी नेपाल में धारके क्षेत्र में जोती भट्ठे पर मजदूरी कर रहे थे लेकिन लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गए और रोजगार भी छिन गया। इधर मकरंदपुर में शनिवार को बाबूराम के बेटे सूरजपाल की बीमारी से मौत हो गई। यह सूचना नेपाल में फंसे पिता बाबूराम, मां राजकुमारी और बेटी माया को मिली तो कोहराम मच गया। पिता बेटे की अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सकता। उधर, शाहजहांपुर के निगोही उदन्नापुर व सिंधौली के सैजना, सिंबुआ के भी करीब 50 से ज्यादा लोग वहां फंसे हैं। उनके परिजन यहां परेशान हैं। आईएसडी कॉल मंहगी है।

मजदूरों के पास पैसे नहीं जो यहां अपनों से जीभर बात भी कर सकें। हिन्दुस्तान जैसी मदद वहां हर गरीब को नहीं मिल पाती। परिजनों ने बताया कि जो लोग फंसे हैं उन्हें भट्ठे का मालिक 2 किलो आटा या चावल अब तक देता आया था। 3 मई से वह भी बंद है। अपनों के हालातों से परेशान यहां के स्थानीय वांशिदों ने  सरकार से नेपाल में फंसे लोगों को निकालने की गुहार लगाई है।

खुशकिस्मत निकला भाईलाल
गांव के तमाम लोगों के साथ भाईलाल भी परिजनों संग नेपाल गया था। मां की होली पर वो किसी तरह निकल आया था। उसवक्त लॉकडाउन नहीं था। मगर उसकी बेटी, बेटा व कई परिजन अभी भी वहां फंसे हैं। यहां आकर भाईलाल बताता है कि कम से कम अपने गांव में रूखी ही सही रोटी तो मिल रही है। वहां परदेश में कोई पूछने वाला नहीं?
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