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गुजरात से 1115 प्रवासियों को लेकर गोरखपुर पहुंची तीसरी ट्रेन

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर, गुजरात के नडियाद जंक्शन से 1115 प्रवासियों को लेकर तीसरी श्रमिक एक्सप्रेस गोरखपुर जंक्शन पहुंची। कामगारों को एक-एक कर बोगियों से उतारा गया। ट्रेन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के

आगरा, अलीगढ़, लखीमपुर के कामगार भी पहुंचे गोरखपुर, इन्‍हें रोडवेज की बसों से इनके घर तक पहुंचाया गया। आगरा, अलीगढ़ और लखीमपुर जिले के श्रमिक भी सवार थे। कड़ी सुरक्षा के बीच स्वास्थ्य परीक्षण के बाद रोडवेज की बसों से उन्हें गंतव्य के लिए रवाना कर दिया गया। ट्रेन आने से पहले प्लेटफार्म नंबर एक छावनी में तब्दील हो गया था। सुरक्षाकर्मियों के अलावा जिला प्रशासन, स्वास्थ्य, परिवहन निगम और रेलवे के अधिकारी व कर्मचारी अलर्ट थे। कामगारों की जांच के लिए 12 बूथ बनाए गए थे। ट्रेन पहुंचने के बाद प्रवासियों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। उनका नाम और पूरा पता दर्ज किया गया। उनमें चना और लइया वितरित किया गया। सैनिटाइज की हुई रोडवेज की 60 बसें परिसर में तैयार खड़ी थीं। शाम 5.15 बजे के आसपास प्रवासियों को निर्धारित बसों में बैठाकर गोरखपुर, बस्ती सहित प्रदेश के अन्य मंडलों के 29 जनपदों के लिए रवाना कर दिया गया। ट्रेन खाली होने के बाद सैनिटाइज की गई। प्लेटफॉर्म को धुलकर दवा का छिड़काव किया गया। 

स्लीपर के किराए पर जनरल में यात्रा
24 बोगियों की ट्रेन में तीन जनरल व 19 स्लीपर कोच लगे थे। लेकिन जनरल कोच में बैठे कामगारों से भी स्लीपर का किराया 635 रुपये वसूला गया था। टिकट दिखाते हुए कामगारों ने रास्ते में उपेक्षा का आरोप लगाया। इसके साथ प्रदेश सरकार के प्रति आभार भी जताया। लखीमपुर के जसवंत का कहना था कि सरकार ने पहल नहीं की होती तो हम अपने घर नहीं आ पाते। रेलवे ने जहां प्रत्येक प्रवासियों से किराया लिया वहीं गोरखपुर उतरने के बाद रोडवेज ने मुफ्त में सबको गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की है।

बोगियों में शारीरिक दूरी का पालन नहीं, टॉयलेट में पसरी गंदगी
प्लेटफार्म पर प्रवासियों के बीच शारीरिक दूरी का पूरा ख्याल रखा गया लेकिन ट्रेन की बोगियों में मानक का कोई ध्यान नहीं रखा गया था। स्लीपर और जनरल बोगियों के सभी केबिन में आठ-आठ कामगार बैठाए गए थे। जनरल कोच में बैठे आगरा के मनमोहन का कहना था कि रास्ते में टॉयलेट की सफाई भी नहीं कराई गई। सैनिटाइजर की कौन कहे, टॉयलेट में साबुन तक की व्यवस्था नहीं थी।

आधे को मिला नाश्ता-पानी, बाकी रहे परेशान
नडियाद जंक्शन पर बैठे यात्रियों को एक बोतल पानी और एक पैकेट नमकीन दी गई। लखनऊ पहुंचने पर नाश्ता और पानी तो दिया गया, लेकिन वह सभी कामगारों तक नहीं पहुंच पाया। जनरल बोगी में यात्रा कर रहे आगरा निवासी कामगार गंगा प्रसाद ने बताया कि वेंडर आधी बोगी के यात्रियों को पुलाव और पानी देकर चले गए। हम लोग देखते रह गए।

स्टेशन पर गोरखपुर के कलाकार की गूंज रही आवाज
श्रमिक एक्सप्रेस के पहुंचने के दौरान प्लेटफार्म नंबर एक पर लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव की जानकारी दी जा रही है। प्लेटफार्म पर गूंज रही आवाज रेलकर्मी आसिफ की है। आसिफ यांत्रिक कारखाने में तैनात हैं और पूर्वोत्तर रेलवे कला समिति के महत्वपूर्ण सदस्य भी हैं।

... फिर भी लेट जा रहीं ट्रेनें
रेलवे ट्रैक खाली है। रेलवे ने श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए औसत 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार भी तय कर दी है। इसके बाद भी ट्रेनें गंतव्य पर पहुंचने में लेट हो जा रही हैं। गोरखपुर पहुंची पहली श्रमिक एक्सप्रेस लगभग चार घंटे तथा तीसरी ट्रेन भी करीब 45 मिनट लेट हो गई।

इनके हौसले से कामगारों को मिला नया जीवन
कोरोना संकट में परिवार की चिंता छोड़ जान की परवाह किए बिना मोर्चा संभाल रहे 400 कर्मियों के जज्बे का सम्मान देख हजारों आंखें नम हो गईं। इन कर्मियों के अथक प्रयासों से लॉकडाउन के चलते परदेस में फंसे कामगार मंगलवार को अपनी माटी पर पहुंचे, तो ताली बजाकर हृदय से उनका आभार जताया, अभिनंदन किया। संकट की इस घड़ी में कामगारों को नया जीवन देने वाले कोरोना योद्धाओं का सम्मान देख इंद्र देव भी खुद को रोक नहीं सके और मेघों को बरसने का आदेश दे डाला।

कामगारों ने बताई ताली
गुजरात से चलकर मंगलवार शाम गोरखपुर जंक्शन पहुंची स्पेशल एक्सप्रेस से उतर कर बसों में सवार कामगारों ने जब ताली बजानी शुरू की, तो स्टेशन डायरेक्टर राजन कुमार और आरपीएफ इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह को लगा, यह उनका मान है। वे भावुक हो गए। सीना चौड़ा करते हुए बोले, जोखिम के बीच दिन-रात लगातार ड्यूटी आज सफल हो गई। यही असल इनाम है। अपने दो सहयोगियों लोको पायलट राम गोपाल व जितेंद्र कुमार के साथ ट्रेन लेकर लखनऊ से गोरखपुर पहुंचे चीफ लोको इंस्पेक्टर उमेश सिंह कहते हैं कि सामान्य दिनों में तो हम अपनी ड्यूटी निभाते हैं, लेकिन ईश्वर ने सेवा का मौका दिया है, उसे आशीर्वाद मानकर पूरा कर रहे हैं।

व्‍यवस्‍था देख समाप्‍त हो गई पीड़ा
प्लेटफार्म पर प्रवासियों के लिए बनाए गोले में खड़े आगरा के विजय कुमार ने कहा कि यहां की सुरक्षा और सफाई व्यवस्था देख सारी पीड़ा समाप्त हो गई। मैं गोधरा में ट्रक चलाकर परिवार का भरण-पोषण करता हूं। रेलवे के लोको पायलटों और परिसर में खड़े दर्जनों बस चालकों के प्रति मेरी श्रद्धा उमड़ रही है। गंगा प्रसाद भी ब'चों के साथ पीछे खड़े थे। भावुक होकर बोल पड़े, हमलोग तो घर वापसी की उम्मीद छोड़ चुके थे। रेलवे और रोडवेज के योद्धा खौफ के साए में वह कोविड-19 रूपी अदृश्य शत्रु से लगातार लड़ रहे हैं। इसमें रेलवे प्रशासन के करीब 80, रेलवे सुरक्षा बल के 52 और राजकीय रेलवे पुलिस के 55 जवान शामिल हैं। रोडवेज के 120 से 150 चालक और परिचालक भी मोर्चा संभाले हुए हैं। 

आज भी पहुंचेंगी दो श्रमिक ट्रेनें
बुधवार को भी प्रवासियों को लेकर दो श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेनें गोरखपुर पहुंचेंगी। पहली ट्रेन सूरत से चलकर दोपहर बाद दो बजे प्लेटफार्म नंबर एक पर आएगी। इस ट्रेन की समय सारिणी पूर्वोत्तर रेलवे को प्राप्त हो गई। दूसरी ट्रेन गुजरात के नडियाद जंक्शन से गोरखपुर पहुंचेगी। इस ट्रेन की समय सारिणी अधिकारियों तक नहीं पहुंची थी। लेकिन जानकारों का कहना है कि यह ट्रेन भी दोपहर बाद तीन से चार बजे के बीच गोरखपुर पहुंच जाएगी। मंगलवार को ही गोरखपुर के रास्ते साबरमती से सीतामढ़ी तक एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन रवाना हुई। ट्रेन गोरखपुर में रात 12 बजे के आसपास लगभग 15 मिनट के लिए रुकी लेकिन एक भी यात्री नहीं उतरे। 
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