वर्ष 2020 का पहला सूर्यग्रहण समाप्त, दोपहर में हो गया अंधेरा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। वर्ष 2020 का पहला सूर्यग्रहण समाप्त हो गया। भारत में दिन में करीब 10 बजकर 20 मिनट पर शुरू होकर एक बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो गया। सूर्य ग्रहण कुल तीन घंटा 39 मिनट तक रह। दुर्लभ संयोग के साथ कुंडलाकार, वलयाकार सूर्य ग्रहण खत्म हो गया।
सूर्य ग्रहण के दौरान एक बार स्थिति ऐसी बनी, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में पूरी तरह आ गया। अद्भुत खगोलीय नजारे दिखाता सूर्य एक बार रिंग ऑफ फायर की आकृति में दिखा। इस दौरान पृथ्वी पर सूर्य की छवि पूरी तरह से अस्पष्ट हो गई। बस अंगूठी या छल्ला की शक्ल में सूर्य को देखा जा सका। इधर सूर्य ग्रहण को लेकर हिंदू मान्यताओं के अनुसार तमाम लोग अपने घरों में अपने इष्ट देव की आराधना में लगे रहे। वर्ष 2020 का पहला सूर्य ग्रहण, दिन रविवार को आषाढ़ मास, अमावस्या तिथि में लगा। मृगसिरा और आर्द्रा नक्षत्र, मिथुन राशि में लगने वाला यह खंडग्रास सूर्य ग्रहण कंकणाकार और वलयाकार दिखा। सूर्य ग्रहण का प्रभाव भारत के अलावा जापान, चीन, यूरोप, रूस के अलावा अरब देशों में भी देखने को मिलेगा।
प्रदेश के अलीगढ़, आगरा, मेरठ, प्रयागराज, कानपुर, गोरखपुर, बरेली, मुरादाबाद, लखनऊ तथा कानपुर में सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों में बेहद बेचैनी थी। अधिकांश जगह पर बादल होने के कारण लोग सूर्य ग्रहण का वैसा नजारा नहीं देख सके, जिसकी उनको अपेक्षा थी। भारत समेत ग्रहण का नजारा नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, एथोपिया, यूऐई तथा कोंगों में दिखेगा। भारत में सहारनपुर के बेहत के साथ देहरादून, सिरसा अथवा टिहरी के कुछ स्थान पर लोगों ने वलयाकार सूर्य ग्रहण का खूबसूरत नजारा देखा।
'रिंग ऑफ फायर' के नाम से लोकप्रिय कुंडलाकार सूर्य ग्रहण को देश के कुछ इलाकों में पूरी तरह से देखा गया जबकि अन्य भाग में यह आंशिक रूप से दिखा। यह साल का पहला और आखिरी सूर्य ग्रहण है। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में चंद्रमा ने सूर्य को 98.6 प्रतिशत ढका, जिससे यह कंगन जैसी आकृति का दिखाई दिया। ज्योतिषशास्त्रों में इसे कंकणाकृति सूर्य ग्रहण कहा गया है। आकृति ज्यादातर स्थानों पर दिन में 11.50 से 12.10 के बीच दिखी।
सहारनपुर व मेरठ में दिन में अंधेरा
भारत में सू्र्य ग्रहण सुबह 10 के बाद ही दिखाई देना शुरु हुआ। यह साल का पहला और आखिरी सूर्य ग्रहण है। सहारनपुर के बेहट में सूर्य ग्रहण का साफ नजारा देखने को मिला। ग्रहण के दौरान आसमान में पल पल नजारे बदले बदले से नजर आ रहे थे। इस दौरान मेरठ और सहारनपुर मंडल में बड़ी संख्या में लोगों ने घरों के भीतर पूजा पाठ शुरू कर दिया था। मेरठ में सूर्य ग्रहण 94.3 फीसद दिखा। मेरठ में सूर्यग्रहण 10 बजकर 21 मिनट से शुरू हो गया। सहारनपुर के बेहट कस्बे में पूर्ण सूर्यग्रहण दिखाई दिया। इस दौरान वहां पर दिन में अंधेरा हो गया।
आगरा में बच्चों ने की तैयारी
आगरा में आषाढ़ अमावस्या को वलयाकार सूर्य ग्रहण (कंकणाकार ग्रहण) देखने की लोगों ने तैयारी की थी। पौराणिक कथाओं और धाॢमक मान्यताओं के इतर बच्चों ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस दुर्लभ खगोलीय घटना को देखने के लिए तैयारी कर रखी है। पुरानी एक्स-रे फिल्मों के अलावा ग्रहण को देखने के लिए विशेष चश्मों तक का बंदोबस्त किया। ताजनगरी में आज हल्के बादल छाए थे, 12 बजे के बाद आसमान हल्का साफ हो गया। इस बार लम्बे ग्रहण की वजह से पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है।
प्रयागराज में आतुरता
प्रयागराज में खंडग्रास सूर्य ग्रहण के खगोलीय नजारे को देखने के लिए शहरवासियों में आतुरता नजर आई। कोई टीवी के सामने बैठा तो काई मोबाइल पर सूर्य ग्रहण के विविध काल को देखने में मशगूल रहा। आसमान पर छाए बादलों की वजह से सूर्य ग्रहण को काफी लोग नहीं देख सके। सूर्य ग्रहण के पहले गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में कई लोगों ने डुबकी लगाकर सूर्यदेव को नमन भी किया। वहीं ग्रहण समाप्त होने के बाद भी संगम समेत गंगा के विविध घाटों पर स्नानार्थी पहुंचेंगे।
कानपुर में चंद्रमा की छाया ने सूर्य को 80 से 82 फीसद तक ढंका
कानपुर में सूर्यग्रहण कौतुहल का विषय रहा। लोग इसका नजारा देखने का मौका खोना नहीं चाहते थे। सभी ने अपनी तैयारी कर ली थी। आइआइटी में भौतिक विभाग के प्रोफेसर व वेधशाला क्लब के प्रमुख प्रो. पंकज जैन ने बताया कि शहर में सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य लाल छल्ले जैसा नजर आएगा। जब यह चरम पर होगा तब इसकी आकृति आग के सॢकल की तरह दिखेगी। कानपुर में चंद्रमा की छाया ने सूर्य को 80 से 82 फीसद तक ढंका। दोपहर 1:58 बजे मोक्ष होगा।
मध्याह्न भोग आरती में फलाहार का भोग
सूर्यग्रहण के कारण श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली मध्याह्न भोग आरती ग्रहण सूतक पूर्ण होने के पश्चात उग्रह पूजन के उपरांत संपन्न होगी। मध्याह्न भोग आरती में फलाहार का भोग लगाया जाएगा। वहीं मध्याह्न भोग आरती को छोड़कर शेष सभी आरती अपने निर्धारित समय पर होगी। सूर्यग्रहण के कारण सुबह नौ बजे से दोपहर 2:04 बजे तक मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। मुख्य कार्यपालक अधिकारी के मुताबिक उग्रह पूजनोपरांत मध्याह्न भोग आरती के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का कपाट सामान्य दर्शनाॢथयों के लिए खोला जाएगा। उधर, सूर्यग्रहण के कारण सुबह आठ बजे से अपराह्न तीन बजे तक अन्नपूर्णा मंदिर भी बंद रखा गया। मध्याह्न भोग आरती कपाट खुलने के बाद होगी। विंध्यवासिनी मंदिर तो बंद चल रहा है लेकिन मां की आरती चारों पहर नियमित की जा रही है। पहली आरती भोर के चार से पांच बजे, दूसरी दोपहर बारह से एक बजे, तीसरी सवा सात से सवा आठ व चौथी आरती साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक की जाती है। सूर्यग्रहण के चलते दोपहर की बारह से एक बजे तक होने वाली मां विंध्यवासिनी की तीसरी आरती सुबह नौ से दस बजे तक ही हो गई।
मुरादाबाद में इस अद्भुत खगोलीय घटना को देखने के लिए लोग काफी उत्साहित दिखे। घरों में भी लोगों ने भोजन आदि बनाकर रख लिया था। मुरादाबाद सहित मंडल के अन्य सूर्य ग्रहण का असर देखा गया। अमरोहा के नौगांवा सादात थाना क्षेत्र के गांव सरफुद्दीनपुर में सूर्यग्रहण के चलते शिव मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। सम्भल और मुरादाबाद में भी यही हाल रहा। जेल रोड पर एक्सरे फिल्म से लोगों ने सूर्य ग्रहण देखा। सूर्य का आकार भी पल-पल बदलता रहा। लोगों ने खास चश्में के अलावा पानी में भी सूर्य ग्रहण को देखा।
वाराणसी में कोरोना संकट के चलते गंगा में स्नान पर प्रतिबंध
वाराणसी में कोरोना संकट के चलते गंगा में स्नान पर प्रतिबंध है। ऐसे में लोगों ने घर में ही सूर्यदेव व गंगा का स्मरण कर स्नान विधान किया। कोरोना संक्रमण काल के कारण ग्रहण में गंगा में नहाने नहीं दिया जा रहा है। गंगा घाटों की ओर जाने वाले सभी प्रमुख सड़कों व गलियों पर पुलिस की निगरानी है। इससे पूर्व गंगा दशहरा व निर्जला एकादशी के मौके पर भी भक्तों को गंगा स्नान नहीं करने दिया गया। ग्रहण काल में इस बार लोग घरों में धाॢमक आयोजन व नहान को पूरा करे रहे हैं। वैसे पूर्व में ग्रहण काल में काशी की घाटों पर नहाने व दान करने वालों की भारी भीड़ होती थी। इस बार सभी घाटों पर सन्नाटा पसरा है।
विभिन्न मान्यता
सूर्य ग्रहण के समय भगवान सूर्यदेव की मुक्ति के लिए धाॢमक कृत्य, स्नान और श्राद्ध-दान का विधान है। मान्यता है कि ग्रहण में जपा गया मंत्र सिद्धप्रद होता है। धर्म शास्त्र के अनुसार जहां-जहां ग्रहण दिखता है, वहां ही ग्रहण का फल भी होता है। इस अवधि में गंगा स्नान-दान का विशेष महत्व है। हालांकि कोरोना संकट के चलते गंगा में स्नान पर प्रतिबंध है। ऐसे में घर में ही सूर्यदेव व गंगा का स्मरण कर स्नान विधान किए जा सकते हैैं। 'गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिम कुरु...। हाथ में जल लेकर मंत्रोच्चार करें और जल को संपूर्ण जल पात्र में मिला दें। इससे समस्त नदियों में स्नान का पुण्य होगा।
जानें ग्रहण राशिफल
मेष, सिंह, कन्या और मकर राशि वालों के लिए ग्रहण का प्रभाव विशेष शुभ लाभ के योग प्रस्तुत करेगा। यह सूर्य ग्रहण मेष राशि के लिए लाभ प्राप्ति का योग, धन का आगमन, वृष राशि के लिए हानि का योग, मिथुन राशि के लिए घात, कर्क राशि को खर्च की अधिकता, सिंह राशि को लाभ, कन्या राशि के लिए सुख प्राप्ति, तुला राशि के लिए मान नाश, वृश्चिक राशि के लिए मृत्युतुल्य कष्ट, धनु राशि वालों के जीवनसाथी को कष्ट, मकर राशि के लिए सुख, कुंभ राशि के लिए चिंता, मीन राशि के लिए व्यथा लेकर आ रहा है। वाराणसी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार खंड ग्रास सूर्य ग्रहण मिथुन राशि और मृग शिरा नक्षत्र पर लगेगा।
अत: मिथुन राशि वालों को ग्रहण नहीं देखना चाहिए। उन्हेंं हर तरह से सावधान रहना चाहिए। मेष, सिंह, कन्या व मकर राशि के लिए ग्रहण लाभप्रद रहने वाला है। ग्रहण काल में स्नान के उपरांत मंत्रों का जप करना चाहिए। मूॢत को स्पर्श नहीं किया जाता है। ऐसे में नदी अथवा सरोवर में डुबकी लगाने के साथ ही मंत्रों का जप, हवन आदि करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होगी और मंत्र भी सिद्ध होंगे। ग्रहण में जपा गया मंत्र सिद्धप्रद होता है। इस अवधि में गंगा स्नान व दान का विशेष महत्व होता है। जल दान, अन्न दान आदि करना चाहिए। चूंकि कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है ऐसे में चिकित्सा उपकरण, पीपीई किट, मास्क भी दान कर सकते हैं।
ग्रहण ने बढ़ाया आषाढ़ी अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में आषाढ़ माह को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस माह में प्रमुख रूप से भगवान विष्णु की आराधना तो की ही जाती है, शाक्त उपासकों के लिए गुप्त नवरात्रि भी इसी माह आती है। इस माह की प्रत्येक तिथि का अपना महत्व है लेकिन माह की अमावस्या और पूॢणमा विशेषकर लाभप्रद मानी गई है। इस बार आषाढ़ी अमावस्या 21 जून रविवार को है। इस दिन सूर्यग्रहण होने के कारण यह दिन और भी महत्वपूर्ण हो गया है। खासकर पितृदोष, शनि दोष, कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष के निवारण के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन ग्रहण समाप्ति के बाद यदि विशेष उपाय करेंगे तो आपकी समस्याएं दूर होंगी। आषाढ़ कृष्ण अमावस्या 21 जून को खण्डग्रास सूर्य ग्रहण (चूड़ामणियोग) लगेगा जो भारत में भी दिखाई देगा।
पितरों की शांति करें
अनजाने में यदि पितरों के प्रति कोई अपमान हो जाता है या उनके उत्तरकार्य ठीक से नहीं हो पाते हैं तो पितृ असंतुष्ट रह जाते हैं। ऐसे में उनके वंशजों के जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियां आने लगती हैं, खासकर आॢथक संकट, रोजगार का संकट, रोग और संतान प्राप्ति में कठिनाई आदि आती है। पितृ दोष की शांति के लिए अमावस्या का दिन तय है क्योंकि अमावस्या पितरों की तिथि मानी गई है। इस दिन अतृप्त पितृ अपने परिजनों से कुछ पाने की आशा में पृथ्वी पर आते हैं। अमावस्या के दिन यदि पितरों के निमित्त तर्पण, पिंड दान, अन्न् दान, धूप आदि कर्म किए जाएं तो इससे पितृ प्रसन्न् होते हैं और परिवार में उनके आशीर्वाद से खुशहाली आती है। इस दिन भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने और गरीबों को दूध पिलाने या खीर खिलाने से पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है।
चार राशि वालों को लाभ
कंकणाकृति सूर्य ग्रहण चार वालों की किस्मत खोल देगा।
कालसर्प दोष शांति की पूजा
इस दिन कालसर्प दोष की शांति करें। अमावस्या का दिन कालसर्प दोष की शांति का सबसे अचूक दिन होता है। कालसर्प दोष निवारण के लिए सुबह स्नान के बाद चांदी से निॢमत नाग-नागिन की विधिवत पूजा करवाएं। सफेद पुष्प के साथ इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। कालसर्प दोष से राहत पाने का यह अचूक उपाय है। इस दिन 8 नारियल पर सिंदूर से नाग-नागिन का जोड़ा बनाकर दो-दो नारियल को मौली से बांधकर कालसर्प दोष वाले व्यक्ति के हाथ से जल में प्रवाहित करवाने से दोष की शांति होती है।
शनि की शांति करें
अमावस्या तिथि शनि दोष की शांति के लिए भी महत्वपूर्ण होती है। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती या लघु ढैया चल रहा है (वर्तमान में धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन और तुला राशि पर लघु ढैया चल रहा है।) वह लोग आषाढ़ी अमावस्या के दिन शनिदेव का तैलाभिषेक करें और भूखे प्राणियों को भोजन कराएं। गरीबों को मीठे चावल खिलाने से शनि दोष की शांति होती है।
आषाढ़ी अमावस्या पर आजमायें
अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। किसी तालाब या नदी किनारे जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। इस उपाय से आपके जीवन की अनेक परेशानियों का अंत हो सकता है। इस दिन काली चींटियों को शकर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पाप कर्मों का क्षय होगा और पुण्य-कर्म उदय होंगे। यही पुण्य कर्म आपकी मनोकामना पूॢत में सहायक होंगे। यदि आपकी नौकरी नहीं लग पा रही है तो अमावस्या के दिन एक नीबू को गंगाजल से धोकर सुबह अपने घर के मंदिर में रख दें। फिर रात के समय इसे सात बार अपने ऊपर से घड़ी की सुई की दिशा में घुमाकर इसके चार बराबर भाग कर लें और किसी चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में फेंक दे। वापस घर आ जाएं और मुड़कर पीछे न देखें।
अमावस्या को सायंकाल घर के ईशान कोण में पूजा वाले स्थान पर गाय के घी का दीपक लगाने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। धन प्राप्ति का एक अचूक टोटका कई तांत्रिक ग्रंथों में बताया गया है। अमावस्या की रात्रि को पांच लाल फूल और पांच जलते हुए दीये बहती नदी में प्रवाहित करें। इससे धन प्राप्ति के प्रबल योग बनेंगे। आषाढ़ी अमावस्या के दिन रात में दस बजे के बाद एकांत में बैठकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है, साहस में वृद्धि होती है।


