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20 हजार रेलकर्मियों की नौकरी पर संकट, 55 की उम्र पूरी करने वाले कर्मचारियों की सूची तैयार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे के करीब 20 हजार कर्मचारियों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश पर रेलवे प्रशासन ने 30 वर्ष तक की नौकरी या 55 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले कर्मचारियों की सूची लगभग तैयार कर ली है। समय से पहले सेवानिवृत्त करने के लिए अधिकारियों ने सूची के आधार पर अपनी समीक्षा भी शुरू कर दी है। रेलवे बोर्ड ने भारतीय रेलवे के सभी जोनल कार्यालयों से 30 सितंबर तक कर्मचारियों की सूची मांगी थी। पूर्वोत्तर रेलवे के इज्ज्तनगर मंडल ने तो वाणिज्य विभाग के 17 कर्मियों की सूची संबंधित अधिकारी को सौंप भी दी है। 

पूर्व मध्य रेलवे में शुरू हुई कार्रवाई

पूर्व मध्य रेलवे में तो कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। जानकारों के अनुसार समीक्षा में सिर्फ सेवा की अवधि और उम्र ही नहीं देखी जाएगी, बल्कि वार्षिक रिपोर्ट के आधार पर कर्मचारियों के आचरण और व्यवहार को भी परखा जाएगा। रेलवे के बनाए गए मानक में सेवा और उम्र में से कोई एक भी आ गया तो कर्मचारी की समीक्षा शुरू हो जाएगी। सेवा और उम्र के अलावा कर्मचारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट भी देखी जाएगी। अगर कर्मचारी का कार्य व्यवहार रहा है तो उसे आगे सेवा का मौका मिल जाएगा। लेकिन अगर कार्य व्यवहार दुरुस्त नहीं हुआ तो जबरन रिटायरमेंट तय है। पूर्वोत्तर रेलवे में लगभग 50 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं।


कर्मचारियों में दहशत, संगठनों में आक्रोश

रेलवे की इस प्रक्रिया को लेकर कर्मचारियों में दहशत है। कर्मचारी संगठन भी आक्रोशित हैं। एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्त कहते हैं कि सरकार समीक्षा के नाम पर कर्मचारियों की छंटनी कर रही है। एक तो पहले से ही कर्मचारियों की कमी है। हजारों पद रिक्त हैं। ऊपर से जो कर्मी तैनात हैं उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी है। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ (पीआरकेएस) के प्रवक्ता एके सिंह कहते हैं कि यह व्यवस्था नीचे नहीं ऊपर से शुरू होनी चाहिए। सरकार को अपने मंत्रियों व अधिकारियों की उम्र व प्रदर्शन नहीं दिख रही। कर्मचारियों ही असहाय नजर आ रहे हैं। यह नियम नया नहीं है, लेकिन रेल मंत्रालय ने हथियार के रूप में इसका प्रयोग शुरू कर दिया है।

दफ्तरों से गायब रहने वाले कर्मियों की खैर नहीं

रेलवे में ऐसे भी कर्मचारी हैं जो दफ्तरों से गायब रहते हैं। कुछ सिर्फ हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। कुछ बिना पहुंचे वेतन उठाते हैं। यही कारण है कि रेलवे का पूरा सिस्टम ऑनलाइन होने के बाद भी आज तक दफ्तरों में हाजिरी के लिए बायोमीट्रिक मशीन नहीं लग पाई। इसके लिए न अधिकारी की इच्छाशक्ति दिखती है और न कर्मचारी चाहते हैं।


आवधिक सेवा समीक्षा मूल नियमों के अंतर्गत प्रशासनिक मजबूती के लिए की जाती है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी समीक्षा होनी है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। - पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी- पूर्वोत्तर रेलवे।

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