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भोजपुरी फिल्मों के लिए लकी है मऊ की 200 साल पुरानी लालकोठी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, मऊ. मऊ के शमशाबाद गांव स्थित 200 साल पुरानी खपरैल की लालकोठी ने भोजपुरी फिल्मों के कई सितारों को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया। कोठी में अब तक बनी आठ फिल्मों में से पांच सुपरहिट रहीं। छह एकड़ में फैली यह कोठी अब मिनी फिल्मसिटी के रूप में पहचान बना चुकी है। यहां फिल्माई गई 'ससुरा बड़ा पैसा वाला'  से ही अभिनेता मनोज तिवारी को कामयाबी मिली। आज भी यहां 'जैसी करनी वैसी भरनी' की शूटिंग चल रही है। 

शमशाबाद गांव में जयप्रकाश सिंह के खपरैल की लालकोठी में 'भोजीवुड' की वास्तविक तस्वीर दिखती है। न कोई बनावट, न ही तैयार किया गया सेट। छह एकड़ में फैले खपरैल की यह कोठी प्राकृतिक रूप से फिल्मसिटी के स्टूडियो जैसी ही है। स्वाभाविक रंगीनियत की वजह से ही अब तक यहां आठ फिल्में तैयार हो चुकी हैं। 2003  में लालकोठी में ही तैयार मनोज तिवारी की फिल्म 'ससुरा बड़ा पैसा वाला' हिट रही। दिनेश लाल 'निरहुआ' की चलनी के चालल दूल्हा,  औलाद,  विदेशिया जैसी फिल्में भी यहीं तैयार हुईं। निर्देशक मंजुल ठाकुर कहते हैं कि लालकोठी में वह सबकुछ है जो स्टूडियो के बनावट में भी नहीं हो पाती। इसीलिए मायानगरी से यहां आकर फिल्म को बनाया जा रहा है। आज के समय में यह कोठी किसी फिल्मिस्तान से कम नहीं है। 


बिना किराया लिए सभी व्यवस्था करते हैं कोठी मालिक 

कोठी मालिक जयप्रकाश सिंह सितारों के रहने के लिए अपने ही घर पर नि:शुल्क व्यवस्था करते हैं। इसी कोठी में जयप्रकाश सिंह का पूरा परिवार भी रहता है। सितारे भी इन्हीं परिवार के साथ घर जैसा रहते हैं। कोठी में दस कमरे, आंगन, दलान, अनाज से भरे बोरे और उसकी छल्लियां किसी को भी आकर्षिक करने में सक्षम हैं। बाहर से भी कोठी की बनावट लोगों को अपनी ओर खींचती है।


भोजपुरी फिल्मों को बढ़ावा देना उद्देश्य 

लाल कोठी में शूटिंग के लिए कोई किराया नहीं लिया जाता। भोजपुरी फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए जयप्रकाश सिंह इसके अस्तित्व को लेकर काफी सजग रहते हैं। खपरैल के मकान को बनाए रखने के लिए खपड़ा और नरिया के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। बावजूद इसके वह इन वस्तुओं की व्यवस्था में लगे रहते हैं।

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