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गंगा किनारे अब इको-टूरिज्म, गाजीपुर समेत प्रदेश के 27 जिलों में खोजी जा रही 20 हेक्टेयर जमीन

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गंगा के किनारे के गांवों में इको टूरिज्म योजना बनाई जा रही है। गाजीपुर समेत प्रदेश के 27 जिलों में वन क्षेत्र की तलाश हो रही है। जिले में गंगा किनारे स्थित समधा ताल में इसकी संभावना खोजी जा रही है। कारण कि यहां पर 140 हेेक्टेयर में ताल है, इसमेें काफी जमीनें अतिक्रमण की जद मेें है। चूंकि इको टूरिज्म के लिये 20 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है। इसमें हरियाली का माहौल बनाते हुए गंगा में बोटिंग वगैरह की सुविधा दी जानी है, ऐेसे में योजना परवान चढ़ती दिख रही है। ऐसी स्थिति में जिले का पर्यटन भी बढ़ सकता है और कालीन नगरी की छाप टूरिज्म मैप में दिखाई पड़ सकती है।

बढ़ सकती है गंगा किनारे गांवों की सुंदरता

इको पर्यटन बोर्ड की ओर से गंगा से लगे जिलों में गंगा किनारे इको टूरिज्म विकसित करने से गंगा तट पर लोगों को घूमने-टहलने व चंद पल सुकून से बिताने की एक अच्छी जगह उपलब्ध होगी, इसमें लगने वाले पेड़-पौधों से हरियाली भी बनी रहेगी। गंगा के किनारे गांवों की सुंदरता भी निखरेगी।


इन जिलों में लागू होगी योजना

बनारस, भदोही, प्रयागराज, बलिया, गाजीपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़, फतेहपुर, कानपुर नगर, बिजनौर, हापुड़, फरुखाबाद, कानपुर देहात, अलीगढ़, बुलंदशहर, शाहजहांपुर व अमरोहा समेत 27 जिले।


दिशा निर्देश के अनुसार कार्रवाई तय की जाएगी

अभी इको टूरिज्म विकसित करने संबंधी योजना का कोई पत्र अभी नहीं मिला है लेकिन इको-टूरिज्म योजना की संभावना हो सकती है। दिशा निर्देश के अनुसार कार्रवाई तय की जाएगी।


औषधीय खेती में नहीं दिखाई रूचि

कोरोना संक्रमण में आयुर्वेदिक दवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए गंगा के तटीय इलाकों के किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए योजना तैयार की गई। नमामि गंगे के तहत इसके लिए डीघ ब्लाक के 20 गांवों को चिन्हित कर खेती कराने की योजना तैयार की गई। 150 हेक्टेयर क्षेफफल में खेती कराने का लक्ष्य तय किया गया लेकिन किसानों ने औषधीय खेती के प्रति रूचि नहीं दिखाई। 150 के सापेक्ष महज 60 हेक्टेयर क्षेत्रफल में ही खेती हो सकी है। शासन कि मंशा थी कि किसान परंपरागत धान, गेहूं के साथ खस, नींबू घास, भुई आंवला, तुलसी, सतावर और सर्पगंधा जैसे औषदीय पौधों की खेती करेंगे तो  उनके लिए स्वरोजगार के द्वार खुल जाएंगे।

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