दुखद: 'पगली' के 'कान्हा' से 'यशोदा' का भी आंचल छिना
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. गोरखपुर की पगली के कान्हा से यशोदा का आंचल भी छिन गया। मातृछाया में कान्हा की यशोदा बनकर सात महीने से पालने-पोसने वाली झारखंड की तालामय मरांडी को घरवाले ले गए। अपने इकलौते बेटे की मौत के बाद सुधबुध खोकर घर-परिवार से बिछड़ने वाली इस यशोदा के लिए भी यह दुविधा वाला पल था। एक तरफ उसका अपना परिवार था तो दूसरी तरफ वह अबोध था जिसमें वह अपने बेटे का अक्स देखती थी। उसकी इस दुविधा की गवाही बुधवार को विदाई के समय उसकी आंखों के आंसू दे रहे थे।
लॉकडाउन के दौरान अप्रैल में महानगर के रुस्तमपुर में पगली को लोगों को प्रसव पीड़ा से कराहते हुए देखा था। करीब 30 साल की युवती की मानसिक हालत पूरी तरह से खराब थी। उसे सड़क पर ही रक्तस्राव होने लगा था। कुछ लोगों ने मदद कर उसे एम्बुलेंस से महिला अस्पताल भेजा। इस दौरान एम्बुलेंस में ही उसने बेटे को जन्म दिया। अस्पताल के कर्मचारियों ने पगली का नाम कमला और बेटे का नाम आरव रख दिया।
नवजात को खिला दिया था बिस्कुट
प्रसव के अगले दिन अस्पताल के कर्मचारियों ने कमला को नाश्ते में बिस्कुट दिया। इस बिस्कुट को उसने नवजात को खिला दिया। जिसके बाद नवजात की हालत नाजुक हो गई। उसे आईसीयू। एक हफ्ते तक नवजात आईसीयू में रहा तब उसकी जान बची।
यशोदा बनी तालामय मरांडी
कमला की मानसिक हालत को देखते हुए प्रशासन ने उसे छह अप्रैल को अस्पताल से मातृछाया भी भेज दिया गया। साथ में उसके नवजात को भी भेजा गया लेकिन उसकी मनोदशा ऐसी नहीं थी कि वह अपने बच्चे को पाल सके। तब से तालामय मासूम के लिए यशोदा बन गई। सात महीने से मासूम तालामय के साथ ही रहा। वही उसका लालन पालन पोषण करती रही। उसके दूध पीने से लेकर तेल मालिश तक की जिम्मेदारी तालामय की रही। वह रोज कान्हा को लोरी सुना कर सुलाती। उधर, मातृछाया में कमला का इलाज मनोचिकित्सक डॉ. अभिनव श्रीवास्तव कर रहे हैं।
बेटे की मौत के बाद विक्षिप्त हो गई थी तालामय
तालामय मूल रूप से झारखंड के साहेबगंज जिले के रहने वाली है। उनकी शादी 15 साल पहले हुई। पति बाहर कमाते हैं। तालामय के परिजनों ने बताया कि शादी के पांच साल बाद वह पहली बार गर्भवती हुई। करीब 6 महीने बाद दुर्घटनावश गर्भपात हो गया। इसके दो साल बाद वह दोबारा मां बनी। बेटा जब तीन साल का हुआ तो उसकी तबीयत खराब हुई। इलाज के दौरान बेटे की मौत हो गई। तब से तालामय विक्षिप्त होने लगी। वह बेसुध होकर घर में रहने लगी। ससुराल में भी उसके लोगों से रिश्ते टूटने लगे। करीब चार साल पहले वह घर से लापता हो गई। मातृछाया को वह आठ सितंबर 2019 को मिली थी।
निधि की बेटी को भी पाल चुकी है तालामय
कान्हा के लिए यशोदा बनी तालामय इससे पहले मातृछाया में रही निधि की बेटी का भी चार महीने तक पालन पोषण किया था। गर्भावस्था में निधि को परिजनों ने छोड़ दिया था। उसका प्रसव महिला अस्पताल में हुआ था। दिसंबर में उसका प्रसव महिला अस्पताल में हुआ। तबसे निधि मातृछाया में अपने बेटी के साथ रही। इस दौरान तालामय ही उसकी केयरटेकर बनी रही।
आज पहुंचेगी घर तालामय
बुधावार को मातृछाया से विधिवत विदाई हो गई। इस दौरान सीडीओ इ्रद्रजीत सिंह और महिला थाना प्रभारी अर्चना सिंह मौजूद रहे। इस दौरान मातृछाया प्रशासन ने बकायदा केक काटकर उसे विदा किया। गुरुवार को तालामय अपने घर पहुंच जाएगी।