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अलर्ट के बाद भी वाराणसी के रेलवे स्टेशनों पर आपकी सुरक्षा आपके हाथ, नहीं दिखी चौकसी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. प्रतिदिन लगभग डेढ़ लाख लोगों की पदचाप महसूस करने वाले कैंट स्टेशन पर रोज की तरह ही यात्रियों की आवाजाही बेरोक-टोक जारी थी। कोई चेकिंग न कहीं पूछताछ। मुख्य भवन में प्रवेश करते ही सामने दिखा लगेज स्कैनर जो पिछले करीब दो माह से खराब पड़ा है। यानी सामान के जांच की भी कोई व्यवस्था नहीं। 

हालांकि इसके बगल में ही लगा डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (डीएफएमडी) से होकर गुजरने पर बीप-बीप की आवाज जरूर आ रही थी। प्लेटफार्म एक से लेकर नौ तक कहीं कोई चौकसी नहीं दिखी। यही हाल बनारस स्टेशन का भी था। सुरक्षा में लापरवाही तब सामने आई, जब कैंट स्टेशन को उड़ाने की आतंकी धमकी के बाद जारी किए गए अलर्ट की हकीकत जो दिखा, वही हम आपको दिखा रहे हैं।

बनारस स्टेशन पर भी सुरक्षा व्यवस्था नदारद

बनारस (मंडुवाडीह) स्टेशन की पड़ताल में भी सुरक्षा व्यवस्था नदारद दिखी। इस पर दो एंट्री प्वाइंट हैं। पहली एंट्री शहर की ओर तो दूसरी इंडस्ट्रियल एरिया चांदपुर की तरफ है। लापरवाही का यह आलम तब है जबकि एयरपोर्ट की तर्ज पर भव्य रूप में निर्मित बनारस स्टेशन पूर्वोत्तर रेलवे का माडल स्टेशन माना जाता है।

रात 11:15 बजे के बाद स्टेशन के सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल में इंडस्ट्रियल एरिया चांदपुर की ओर से बने सेकेंड एंट्री प्वाइंट से प्रवेश करने पर आरपीएफ की ओर से बैरिकेडिंग तो की गई है, लेकिन यहां किसी जवान की तैनाती नहीं दिखी। अंदर घुसने पर प्लेटफार्म नंबर आठ पर भी सुरक्षाकर्मी नदारद थे। बिना रोक-टोक यात्री सामान से भरे बैग लेकर आते-जाते रहे।

प्लेटफार्म पर भी कहीं सुरक्षाकर्मी नहीं दिखे। फुट ओवरब्रिज पर भी सन्नाटा रहा। कमोवेश यही स्थिति पहले एंट्री प्वाइंट पर भी थी। न तो कहीं मेटल डिटेक्टर और न ही कोई सुरक्षाकर्मी। यहां से नई दिल्ली को जाने वाली शिवगंगा एक्सप्रेस, बनारस-नई दिल्ली एक्सप्रेस, काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, चौरी चौरा एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों का ठहराव होता है। वाराणसी में 7 मार्च, 2006 को कैंट स्टेशन और संकटमोचन मंदिर में बम धमाके हुए थे। 18 से अधिक लोगों की मौत हुई थी दोनों स्थानों पर सीरियल ब्लास्ट में हुए थे।

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