सहजनवां-दोहरीघाट रेल लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण की तैयारी शुरू, कम हो जाएगी गोरखपुर से वाराणसी की दूरी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सहजनवां-दोहरीघाट नई रेल लाइन गोरखपुर और मऊ जिले के 111 गांवों से होकर गुजरेगी। रेलवे प्रशासन ने 109 गांवों के चिन्हित 527 हेक्टेयर भूमि का नक्शा व खसरा-खतौनी जिला प्रशासन को सौंप दिया है। जिसमें 102 गांव (करीब 483.78 हेक्टेयर) गोरखपुर तथा 7 गांव (करीब 43.22 हेक्टेयर) मऊ जिले के शामिल हैं।
रेलवे ने अधिग्रहण के लिएसौंपा 109 गांवों का नक्शा व खसरा-खतौनी, बनेंगे 12 स्टेशन
दोनों जनपदों से लगभग 535 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। लगभग 80 किमी रेल लाइन बिछाई जाएगी। छोटे-बड़े कुल 12 स्टेशन बनेंगे। जानकारों के अनुसार भूमि अधिग्रहण के साथ पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने फाइनल लोकेशन सर्वे की प्रक्रिया भी लगभग पूरी कर ली है। अभिलेखों और नक्शा के सत्यापन के बाद भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसके लिए रेलवे और जिला प्रशासन के अधिकारियों की संयुक्त टीम बनाई जाएगी, जो भूमि पर कब्जा करने के साथ किसानों को निर्धारित मुआवजा देगी। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने से गोरखपुर के दक्षिणांचल और पूर्वांचल के लोगों में सुगम यात्रा की आस जग गई है।
कम हो जाएगी गोरखपुर से वाराणसी की दूरी
रेल लाइन के बिछ जाने से गोरखपुर से वाराणसी की दूरी कम हो जाएगी। गोरखपुर से दोहरीघाट होते हुए वाराणसी, प्रयागराज और लखनऊ के लिए भी ट्रेनें चलने लगेंगी। यह रेल लाइन सहजनवां में बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा मेन लाइन में मिल जाएगी। दोहरीघाट से इंदारा होते हुए मऊ और वाराणसी रेलमार्ग से जुड़ जाएगी। पूर्वांचल में रेल लाइनों का जाल बिछ जाएगा। जो नया वैकल्पिक मार्ग तैयार करेगा। 17 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में सहजनवां- दोहरीघाट लगभग 80 किमी नई रेल लाइन को स्वीकृति मिली थी।
रेलवे ने यूपी सरकार को दिया 50 करोड़, तीन साल में पूरा हो जाएगा निर्माण
रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति के सदस्य महेंद्र सिंह ने जनवरी में आयोजित समिति की बैठक में सहजनवां-दोहरीघाट नई रेल लाइन का मुददा उठाया था। उन्होंने रेलवे प्रशासन से निर्माण में हो रहे विलंब पर सवाल पूछा था। रेलवे ने महेंद्र सिंह के सवाल का जवाब देते हुए बताया है कि भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रगति पर है। भूमि अधिग्रहण के लिए सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है। मुआवजा के लिए रेलवे प्रशासन ने उत्तर प्रदेश सरकार (गोरखपुर जिला प्रशासन) को 50 करोड़ दे चुका है। भूमि अधिग्रहण के बाद तीन साल में परियोजना को पूरा कर लिया जाएगा।