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बनारस के अस्‍सी घाट पर बंदरिया संग शतरंज की बाजी लगाने वाले बाबा नहीं रहे

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. बंदरिया लेकर देशी- विदेशी पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र बंदरिया बाबा का निधन सोमवार की शाम हो गया। पुलिस उन्हें अज्ञात दर्ज कर पंचनामा की कानूनी कार्रवाई कर दाह संस्कार की प्रक्रिया में लगी थी। देर शाम तक दाह संस्कार नहीं हो सका था। बताया जाता है कि वे भीषण गर्मी में लू लग जाने इधर दो-तीन दिनों से अस्वस्थ्य थे। बाबा कई बार अस्‍सी घाट पर बंदरिया संग शतरंज की बाजी खेलते थे।

घाट पुरोहित बलराम मिश्र ने बताया कि बंदरिया बाबा 1971 की लड़ाई के बाद बचपन में ही बंगला देश से यहां आ गए थे। यहीं घाट किनारे घूमते रहते थे। केदार घाट से रविदास घाट तक उनका भ्रमण क्षेत्र था। कहा जाता है कि उनका परिवार भी था लेकिन परिवार का कोई भी सदस्य दिखाई नहीं पड़ा। वे अपने साथ हमेशा एक बंदरिया रखे रहते थे। 

उससे उनका लगाव इस कदर था कि उसी संग खाना-नहाना, घूमना यहां तक कि शतरंज की बाजी भी चलती थी। बंदरिया घाट भ्रमण के समय उनके कंधे, सिर पर जब बैठी रहती तो घाट घूमने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती। बाबा उसकी आंखों में काजल लगाकर उसे और भी सुंदर रूप देने का प्रयास करते थे। उनके इस पशु-प्रेम से सभी बहुत प्रसन्न रहते और उन्हें बंदरिया बाबा कह कर संबोधित करते।

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