Today Breaking News

बसपा सांसद अतुल राय अभी जेल में ही रहेंगे, हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने संसद और चुनाव आयोग से अपराधियों को राजनीति से बाहर करने और अपराधियों, नेताओं और नौकरशाहों के बीच अपवित्र गठजोड़ को तोड़ने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि राजनेताओं, अपराधियों और दफ्तरशाहों के बीच का अपवित्र गठजोड़ मिटा देना चाहिए। 

कोर्ट ने कहा कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस दिशा में उचित कदम उठाने को कहा है लेकिन अभी तक आयोग और संसद ने ऐसा करने के लिए सामूहिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई है। ऐसे में भारत का लोकतंत्र अपराधियों, ठगों और कानून तोड़ने वालों के हाथों में सरक रहा है। जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने बसपा सांसद अतुल कुमार सिंह उर्फ अतुल राय की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह टिप्पणी पारित की है।

राय अपने खिलाफ दर्ज रेप केस को वापस करने के लिए पीड़िता और उसके गवाह पर नाजायज दबाव बनाने के आरोप में जेल में बंद हैं। उनके दबाव के कारण पीड़िता और उसके गवाह ने सुप्रीम कोर्ट के सामने फेसबुक पर लाइव आकर आत्महत्या का प्रयास किया था। गंभीर अवस्था में दोनों को अस्पताल में दाखिल किया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी। इस केस में हजरतगंज थाने में अतुल राय और पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सांसद अतुल राय के केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि उनके खिलाफ कुल 23 मुकदमों का आपराधिक इतिहास है। कोर्ट ने यह भी पाया कि 2004 की लोकसभा में 24%, 2009 की लोकसभा में 30%, 2014 की लोकसभा में 34% और 2019 की लोकसभा में 43% सदस्य आपराधिक छवि वाले हैं।

बाहुबलियों को बेझिझक टिकट देती हैं पार्टियां

हाई कोर्ट ने कहा कि कोई भी इस बात से इनकार नहीं करेगा कि आज की राजनीति अपराध, ताकत और पैसे से ग्रसित है। संसद, विधानसभा और यहां तक कि स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ना बहुत महंगा हो गया है। कोर्ट ने कहा कि यह भी देखने में आया है कि हर चुनाव के बाद जनप्रतिनिधियों की संपत्ति में अकूत इजाफा हो जाता है। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि पहले बाहुबली और अपराधी चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को समर्थन प्रदान देते थे लेकिन अब तो वे स्वयं राजनीति करते हैं और पार्टियां उन्हें बेझिझक टिकट भी देती हैं। कोर्ट ने सिविल सोसाइटी से कहा कि उन्हें जाति व धर्म की संकीर्णता से ऊपर उठकर ऐसे आपराधिक छवि वाले नेताओं को नकार देना चाहिए।

'