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सेना, FCI और विभिन्‍न राज्‍यों में 6 लाख देने पर दिलाते थे सरकारी नौकरी, सरगना समेत तीन गिरफ्तार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, मेरठ. तीन से छह लाख में सरकारी नौकरी दिलाने वाले गिरोह के सरगना समेत तीन सदस्यों को सर्विलांस सेल की टीम और मेडिकल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए आरोपित सेना और विभिन्न राज्यों की पुलिस में नौकरी दिलाने के नाम पर डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों से मोटी रकम ठग चुके है। पकड़े गए ठगों ने विभिन्न विभागों के फर्जी नियुक्ति पत्र भी मिले है।

एसएसपी अजय साहनी ने प्रेस को जारी बयान में बताया कि बेरोजगार युवकों से नौकरी के नाम पर ठगी करने की लगातार शिकायत आ रही थी, जिसके बाद सर्विलांस और मेडिकल पुलिस को लगाया गया। गढ़ रोड से पुलिस ने नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गैंग के सरगना योगेंद्र शर्मा निवासी कुराना सिंभावली हापुड़, इंद्रराज  सिंह निवासी रसूलपुर बाबूगढ़ हापुड़ और नवीन शर्मा निवासी निखू सयाना बुलंदशहर को गिरफ्तार कर लिया, जो मेरठ में ठगी की रकम वसूलने के लिए आ रहे थे। इनका एक साथी योगेंद्र शर्मा मुफ्तीवाड़ा शिकारपुर बुलंदशहर भागने में कामयाब हो गया।


तीन से छह लाख में दिलाते थे नौकरी

गैंग के सरगना योगेंद्र शर्मा ने बताया कि एमए बीएड तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद चार लोगों के साथ मिलकर एक गैंग तैयार किया। उसके बाद हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के बेरोजगार युवकों की आर्मी, राजस्थान पुलिस, दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस, एफसीआइ एवं एमइएस में नौकरी दिलाने का झांसा देकर तीन से छह लाख तक की रकम वसूलते थे। योगेंद्र ने बताया कि उनके कुछ साथी इंटरनेट मीडिया के जरिए बेरोजगार युवकों को तलाशते थे। उन्हें मैसेजर पर मैसेज भेजकर नौकरी दिलाने का झांसा दिया जाता था। ऐसे छात्रों को तलाशते थे, जो इंटरमीडिएट और बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी ढूंढ रहे है। उनसे नौकरी दिलाने का ठेका तय किया जाता था। आधी रकम नौकरी दिलाने से पहले और आधी रकम बाद में वसूली जाती थी।


लखनऊ और दिल्ली के होटलों में होता था सौदा

छात्रों को दिल्ली और लखनऊ के होटलों में बैठकर नौकरी दिलाने का सौदा तय होता था। वहीं पर प्रमाण पत्र दिखाने का साक्षात्कार कराने का काम भी किया जाता था। योगेंद्र शर्मा ही विभाग का अफसर बनकर छात्रों से मिलता था। उनकी अंक तालिका, आधार कार्ड, जाति और निवास प्रमाण पत्र जमा करा लेते थे। पूरी रकम हासिल करने के लिए फर्जी नियुक्ति पत्र भी दे दिया जाता था। उसके बाद कई विभागों में ठेकेदारों से संपर्क करने के बाद एक से दो माह तक की नौकरी भी करा दी जाती थी। उसके बाद अवकाश पर भेज दिया जाता था।


फर्जी नियुक्त पत्र मिलने के बाद अभ्यार्थी भी तलाशते थे ग्राहक

फर्जी नियुक्त पत्र को अभ्यर्थी असली मसझ लेते थे, उसके बाद वह ही अपने दोस्तों को गिरोह के सदस्यों से नौकरी दिलाने के लिए मिलाते थे। इस तरह से चेन तैयार कर गिरोह के सदस्य डेढ़ सौ से ज्यादा अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूल चुके है।


ये हुई बरामदगी

03 मोबाइल बरामद, 16,500 की नगदी, एक कार, दिल्ली पुलिस, एफसीआइ,एमइएस के फर्जी नियुक्ति पत्र, विभिन्न व्यक्तियों की ओरिजनल अंक तालिकाएं खाली व लिखें हुए स्टंप पेपर, मोहर और 10 बैंक खातों की पासबुक की गिरोह के सदस्यों से बरामद की गई।

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