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अतिक्रमण कर बने धार्मिक निर्माण हटाने को बनेगा कानून, तीन साल तक होगी सजा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक स्थल पर अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाने के लिए अब कानून बनाया जाएगा। राजस्थान और मध्य प्रदेश की तरह यहां कानून बनाए जाने के संबंध में राज्य विधि आयोग ने राज्य सरकार से सिफारिश की है। आयोग ने एक वर्ष तक विभिन्न राज्यों में लागू व्यवस्थाओं का अध्ययन कर प्रदेश में इसके लिए अलग कानून बनाए जाने का प्रारूप तैयार किया है। सख्ती से अनुपालन कराने के लिए दंड तय किए जाने की भी अहम संंस्तुति की है।

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एएन मित्तल व सचिव सपना त्रिपाठी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रस्तावित कानून का प्रतिवेदन व उसका प्रारूप सौंपा है। संबंधित बिल को रेगुलेशन आफ पब्लिक रिलीजियस स्ट्रक्चर (आन पब्लिक प्लेसेस) नाम दिया गया है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द नए कानून को मूर्तरूप देने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाएगी। गृह विभाग व न्याय विभाग में प्रारूप पर जल्द मंथन शुरू होगा। प्रारूप में कहीं अवैध रूप से अतिक्रमण कर किसी धार्मिक स्थल को बनाए जाने के मामलों में दोषियों के विरुद्ध तीन वर्ष तक की सजा का भी प्रविधान किए जाने की सिफारिश शामिल है।


प्रतिवेदन में कहा गया है कि मंदिर, मस्जिद, मजार व अन्य धार्मिक ढांचों का निर्माण कर सार्वजनिक भूमि पर कब्जा करने, आवागमन के मार्ग में बाधा उत्पन्न करने तथा शुरुआत में छोटा ढांचा बनाने के बाद उसे बड़ा करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2009 में राज्य सरकारों को सार्वजनिक स्थानों पर बने धार्मिक स्थलों को हटाने व प्रतिस्थापित करने तथा अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए स्पष्ट नीति बनाकर कार्रवाई करने का आदेश दिया था।


इस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन जून 2016 को राजमार्गों, सार्वजनिक सड़कों, गलियों, फुटपाथ, सड़क किनारे लेन आदि पर किसी भी धार्मिक संरचना व निर्माण करके अतिक्रमण न किए जाने का निर्देश दिया था। न्यायालय में लंबित इस मामले में शासन ने 10 मार्च को आदेश जारी कर ऐसे सभी अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए थे।


तीन श्रेणियों में दिया कार्रवाई का प्रस्ताव : राज्य विधि आयोग ने अपने प्रारूप में अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को हटाने के लिए तीन श्रेणियों में कार्रवाई का सुझाव दिया है। इसके तहत एक निर्धारित तिथि से पहले बने उन धार्मिक स्थलों को नियमित करने की सिफारिश की गई है, जिनसे आवागमन में कोई बाधा न हो। ऐसे धार्मिक स्थलों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट भी कराया जा सकता है। इसके अलावा धार्मिक स्थलों को छोटा करने की व्यवस्था भी हो सकती है। यानी किसी धार्मिक स्थल का जो हिस्सा आवागमन को बाधित कर रहा हो, उसे हटा दिया जाए और शेष भाग को नियमित कर दिया जाए, जबकि एक निर्धारित तिथि के बाद अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को हटाया ही जाएगा।

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