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पूर्वोत्तर रेलवे के 30 फीसद रेलकर्मी कोरोना संक्रमित, थम गए ट्रेनों के पहिए

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. पूर्वोत्तर रेलवे में ट्रेनों के संचालन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। रेलवे प्रशासन के सामने ट्रेनों को समय से संचालित करना चुनौती बनती जा रही है। मुख्यालय गोरखपुर के परिचालन विभाग में ही लगभग 30 फीसद रेलकर्मी संक्रमित हो गए हैं। कोचिंग डिपो में ही 36 कर्मचारी अपना इलाज करा रहे हैं। जो ड्यूटी पर आ रहे वे भी डरे सहमे हैं। उन्हें अतिरिक्त ड्यूटी करनी पड़ रही है। 70 फीसद कर्मियों के कंधों पर ट्रेनों को समय से चलाने की जिम्मेदारी है। फ्रंट लाइन के रेल कर्मचारियों (स्टेशन मास्टर, लोको पायलट, गार्ड, टीटीई, सुपरवाइजर, मैकेनिक, कीमैन और सफाईकर्मी आदि) के संक्रमित होने से रेलवे प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

थमने लगे हैं ट्रेनों के पहिए, शंटिंग, मरम्मत व अन्य कार्य प्रभावित

मालगाड़ियों के निर्बाध संचालन को लेकर रेलवे प्रशासन ने गार्डों का विकल्प खोज लिया है। गार्डों की कमी पर सहायक लोको पायलट गार्ड की जिम्मेदारी संभालेंगे। लेकिन सवाल यह है कि स्टेशन मास्टर, लोको पायलट, शंटर, कीमैन, सुपरवाइजर, मैकेनिक और सफाईकर्मी की कमी हो जाएगी तो ट्रेनों का नियमित संचालन कैसे हो पाएगा। जानकारों का कहना है कि इनकी जगह पर अन्य विभागों के रेलकर्मी भी नहीं लगाए जा सकते। परिचालन से संबंधित रेलकर्मी विशेषज्ञ होते हैं। 

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डेमू ट्रेनों का संचालन रुका

फिलहाल, रेलकर्मियों के संक्रमित होने का असर ट्रेनों पर दिखने लगा है। गोरखपुर रेलवे स्टेशन यार्ड में शंटिंग, प्लेसमेंट, रेक की धुलाई, सफाई और मरम्मत आदि कार्य प्रभावित होने लगे हैं। औंडिहार के लोको शेड के सुपरवाइजरों के संक्रमित हो जाने से डेमू ट्रेनों का संचालन रुक गया है। स्थिति यह है कि संक्रमण के चलते एक तरफ कर्मचारियों की संख्या कम होती जा रही। दूसरी तरफ महाराष्ट्र और गुजरात में फंसे लोगों को लाने के लिए अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ती जा रही हैं। 


पटरी पर आने लगा था ट्रेनों का संचालन

पहले से ही 90 फीसद नियमित ट्रेनें चल रही थीं। अप्रैल में करीब 100 अतिरिक्त ट्रेनें चला दी गई हैं। अब तो अतिरिक्त ट्रेनों के फेरे भी बढ़ने लगे हैं। यह ट्रेनें भी बाहर से तो भरकर आ रही हैं लेकिन यहां से खाली ही जा रही हैं। ऐसे में इन ट्रेनों को समय से सफाई-धुलाई और कोचों की मरम्मत कराने के बाद संचालित करना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे ही ट्रेनें बढ़ती रहीं और कर्मचारी घटते रहे तो परिचालन विभाग की परेशानी और बढ़ जाएगी।

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